जो ख़्वाब , ख़्वाब रहे ऐसा ख़्वाब मत देखो
किसी चिराग़ में तुम आफ़ताब मत देखो
अभी तो तितली पे नज़रें रखो मियां "दानिश"
अभी से जूही ,चमेली , गुलाब मत देखो.......
रघुनंदन शर्मा "दानिश"
किसी चिराग़ में तुम आफ़ताब मत देखो
अभी तो तितली पे नज़रें रखो मियां "दानिश"
अभी से जूही ,चमेली , गुलाब मत देखो.......
रघुनंदन शर्मा "दानिश"
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