रोशनी थी, तुम थे या ख़ुद मेरा साया ,कौन था
रोज़ मेरे ख़्वाब में आकर बिखरता कौन था?
वो तो रग़बत हो गई है नाख़ुदा तुझसे मुझे
वर्ना तेरी कश्तियों में आता- जाता कौन था?
मान लूं तेरी कि मैं इक संगदिल हूँ पर बता
बन के आँसू ये मिरे अंदर पिघलता कौन था?
शोर सा उट्ठा था मुझमें ख़ामुशी के बावजूद
मेरे अंदर अय ख़ुदा मेरे अलावा कौन था?
मुझसे पहले किसको मेरी मंज़िलें हासिल हुईं
देखना है मेरे पीछे-पीछे चलता कौन था?
@# रघुनंदन शर्मा "दानिश"@#
रोज़ मेरे ख़्वाब में आकर बिखरता कौन था?
वो तो रग़बत हो गई है नाख़ुदा तुझसे मुझे
वर्ना तेरी कश्तियों में आता- जाता कौन था?
मान लूं तेरी कि मैं इक संगदिल हूँ पर बता
बन के आँसू ये मिरे अंदर पिघलता कौन था?
शोर सा उट्ठा था मुझमें ख़ामुशी के बावजूद
मेरे अंदर अय ख़ुदा मेरे अलावा कौन था?
मुझसे पहले किसको मेरी मंज़िलें हासिल हुईं
देखना है मेरे पीछे-पीछे चलता कौन था?
@# रघुनंदन शर्मा "दानिश"@#
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