वक़्त जब आता तब खड़े होते हैं सपूत,
दिखा देते हैं कि हिन्दुस्तानी अभी ज़िन्दा है.
हँस-हँस मृत्यु को वरण करने लेने वाली,
परम्परा वही ख़ानदानी अभी ज़िन्दा है.
हवाओं में विष घोलने वाले भी जान जाते
गंगा-जमुना का कहीं पानी अभी ज़िन्दा है.
सिद्ध कर देते हैं औरंगज़ेब जैसे वीर,
अब्दुल हमीद की निशानी अभी ज़िन्दा है।
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सिर से कफ़न बाँध लहू से जो सींचते हैं,
आज़ादी का वीर वे चमन जीत लेते हैं.
देश की सुरक्षा हेतु अग्नि की परीक्षा देके
जीते-जी वे मृत्यु की दुल्हन जीत लेते हैं.
पद प्राप्त होता इतिहास में अनन्यता का,
धन्यता का बहुमूल्य क्षण जीत लेते हैं.
ऐसे मतवाले रखवाले ही वतन के तो
तन हार के करोड़ों मन जीत लेते हैं।
*
भारतीय वीर दिखा जाते ऐसे जौहर हैं,
यकायक विश्व हक्का बक्का कर जाते हैं.
शातिरों के पत्ते पत्ते-पत्ते हो बिखर जाते
ऐसा एक तुरुप का इक्का धर जाते हैं.
जानता जहान है उफान मारता है जोश
रगों में जवानी का वो धक्का भर जाते हैं।
रोक न सकें जटायु रावणों को भले, किन्तु
राक्षसों का मृत्यु पथ पक्का कर जाते हैं.
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आदित्य तोमर,
वज़ीरगंज, बदायूँ (उ.प्र.)
09368656307
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