विषय - दहेज़दहेज़ के नाते जब उसे दी जाती थी यातनाएंवो अपने परिवार के लिए ख़ामोशी से सब सहतीअक्सर उसके पैरों को जलाया जाता गर्म चिमटों सेभूखी प्यासी वो...
प्रकृति से प्यारप्रकृति,जो है अपने नाम में ही है परिपूर्ण।सुख, प्रेम,दया ,छाया, संतृप्ति है जिसके गुण।परोपकार है जिसके संस्कार, लेती नहीं किसी के उपकार।सेवा...
विषय - दुल्हनदुल्हन बनना आसान कहांनए सपने नई उम्मीद होती हैनए रिश्ते नया परिवार होता हैनई आशा नई पहचान होती हैनया पहनावा नई साज होता हैदुल्हन बनना आसान...
विषय - कलियुग का करामात
धर्म के नाम पर कट रहे सर
अधर्म के नाम का है बोलबाला
लूटी जा रही स्त्रियों की अस्मत
ढाया जा रहा निर्दोष बच्चों पर ज़ुल्म
रक्तरंजित...
हे राम हे अल्लाह मैं मांगू न तुमसे कुछ।
तेरे यहां आऊं तो देना न मुझको कुछ।
तिरंगे में लिपटा हुआ आए जब वीर कोई।
बस सीने से लगा लेना और चाह न है कुछ।
वीर...
मात्रभूमि पर मिटने वाला
वीर प्रताप महाराणा था
चेतक जिसका घोड़ा
चित्तौड़गढ़ का महाराजा था
हाथ में जिसके रहता भाला
शूरवीर वो मस्त मतवाला था
महा प्रतापी...
भीड़ लगी मधुशाला में,
जान बसी अब मधुशाला में
नशा नहीं अब कोई बोतल में
नशा भरा है सब मधुशाला में
नाच नचाती ,भूख मिटाती
हर इलाज़ है इस मधुशाला में
बेच...
हम वहीं हैं यहां थे...हम वहीं हैं यहां थेमगर तुम वो नहीं रहे।वक्त ठहर सा गया,जब से तुम मिल गये।मैं जो हूं वो नहीं थी कभी,मुझमें अब मैं कहां रही।मगर तुम...
भीष्मशाम हो गई थी उम्र की,उसका हृदय महान् था।अंदर दर्द भरा था उसके ,पर विचार दृढ़ इंसान था।भीष्म था वो,प्रतिज्ञाबद्ध,स्वयं में ही वह महान् था।उसकी प्रतिज्ञा...
इक किताब होगी ,मेरी जिंदगी की।जिसके हर पन्ने पर ,एक कहानी होगी।कोई बात नयी होगी,कोई बात पुरानी होगी।ज़िक्र तेरा भी होगा,अधूरा,बिन तेरे होगा।कुछ लम्हें,...
सच्ची प्रेम कहानी।(लघुकथा)प्रेम कहानियां तो असल जिंदगी में बहुत देखीं मगर वो प्रेम कहानी कुछ अलग ही थी,ममता और कमल एक साथ बड़े हुए। बचपन की दोस्ती कब...
संस्मरणनेकी कर दरिया में डाल।नेकी कर दरिया में डाल कोशिश हमेशा यही रहती है मेरी।क्योंकि किसी को बताकर मुझे दूसरों की नजरों में बड़ी नहीं होना है भगवान...
पथराई आंखें।(लघु कथा)जब पुलिस आई तो वह वहीं खड़ी थी, वह जानती थी कि आगे क्या होगा ...पोलटीकल जोर जो था।जमीन जायदाद के घरेलू विवाद ने छीन ली थीं सांसें...
तुमसे बेहतर हूं मैं।मुझे मत बताओ कि मैं क्या हूं?मत परखने आओ ,रात स्याह हूं।अनेकों तूफानों,था घेरा यहां मुझे,तिनका बन उड़ी,क्यों बताऊं तुझे।राख गुलिस्तां...
जब हमने लिखना शुरू किया,ना कोई बहर देखा है,सच बस इतना कि जो देखा,जिंदगी का कहर देखा है।आस पास का रूदन, दर्द शाम ओ सहर देखा है,गैरों की देखी प्रीत,अपनों...
मेरा भ्रमभ्रम था मेरा, टूट गया,साहिब मेरा,रूठ गया।जतन मनाने के करूं ,मेरा था,क्यों छूट गया?पूछूं स्वयं से प्रश्न यूं,स्वयं ही मैं उत्तर दूं।प्रश्न उत्तर...
कोरोना से मुक्ति की आशाहर रोज सोचती हूंये संकट टल जाएगा,देश मेरा फिर सेहर रोज़ गति पाएगा।संदेसा कोई सुखद,किसी ओर से चला आएगा।चेहरा हर एक प्राणी का,खुशी...