कहते थे कभी हमसे बस हमतो तुम्हारे हैं
वो हमसे ज़रा देखो कर बैठे किनारे हैं।
हैरान हूँ मैं खुद भी मिलकर न मिला मुझको
लगता है कि किस्मत के ग़र्दिश में सितारे हैं।
उनके ही सहारे हम जायेंगे युँही जीते
जो हमने कभी तेरे पल साथ गुज़ारे हैं
अफसोस रहेगा यह ता उम्र हमें दिलबर
हम जीत के भी देखो इस जंग को हारे हैं।
जो याद कभी मुझको करता ही नहीं है अब
साँसे यह मेरी फिर भी बस उसको पुकरे हैं।
लगता है सना,मुझको उसने तो मुहब्बत में
जो साथ बिताऐ पल एहसान उतारे हैं
सना परवीन
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