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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- कलेजे से लगाया माँ ने, मौसी ने दुलारा है - सना परवीन

कलेजे से लगाया माँ ने, मौसी ने दुलारा है
सजाया मुझको हिंदी ने तो उर्दू ने संवारा है

अधूरी हुँ बिना इनके मैं पूरी हो नही सकती
मेरी हिंदी जरूरत है मेरा उर्दू सहारा है।

फ़ुहार आती है ज़म ज़म की लिखूं जब लफ़्ज़ उर्दू केे 
मिलूं हिंदी से लगता है कि गंगा का किनारा है।

अगर देखो इन्हें तुम साथ तो ये ही कहोगे तुम
बहुत ही खूबसूरत है बड़ा दिलकश नजारा है।

हमारी शान है उर्दू हमारी मान है हिंदी
इसे तोले जो मजहब से नही हमको गवारा है

सना

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