बहर-212, 212, 212, 212
बात कहना कोई मुस्कुराने के बाद ।
लोग मानेगे बीते जमाने के बाद ।।
प्यार *सहयोग* का नाम है दूसरा ।
प्यार होता भी है दिल लगाने के बाद ।।
प्यार है शर्तिया रोग लाईलाज भी ।
ये तो नासूर है भूल जाने के बाद ।।
आजमा लो ये फितरत मिटी कब तलक ।
ढूढते आब वो लौ लगाने के बाद ।।
और कोई नशा इतना सस्ता कहाँ ।
आदमी हर शंहशाह पिलाने के बाद ।।
तुमने पूछा पता किससे घर का मेरे ।
पी रहा और भी डगमगाने के बाद ।।
कुछ मिलेगा नही बात *साथी* सुनो ।
बारिशों में पतंगे उड़ाने के बाद ।।
🌻🌻🌻🌻🌻586🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
मो. 9981013061
बात कहना कोई मुस्कुराने के बाद ।
लोग मानेगे बीते जमाने के बाद ।।
प्यार *सहयोग* का नाम है दूसरा ।
प्यार होता भी है दिल लगाने के बाद ।।
प्यार है शर्तिया रोग लाईलाज भी ।
ये तो नासूर है भूल जाने के बाद ।।
आजमा लो ये फितरत मिटी कब तलक ।
ढूढते आब वो लौ लगाने के बाद ।।
और कोई नशा इतना सस्ता कहाँ ।
आदमी हर शंहशाह पिलाने के बाद ।।
तुमने पूछा पता किससे घर का मेरे ।
पी रहा और भी डगमगाने के बाद ।।
कुछ मिलेगा नही बात *साथी* सुनो ।
बारिशों में पतंगे उड़ाने के बाद ।।
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कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
मो. 9981013061
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