बहर- 2122, 2122, 2122, 212
आप रहते दिल में हरदम उनका ये कहना रहा ।
था यकीं खुद से भी ज्यादा बात ये सुनता रहा ।।
उसकी आँखो का तरन्नुम दिल ने हरदम ही सुना ।
दिल तभी उसके ही ख्यालो में सदा डूबा रहा ।।
है अजब अहसास यारो प्यार का कैसे कहें ।
खूब तोड़े ख्वाब दिल के फिर भी वो सच्चा रहा ।।
कद्र रिश्तों की नही की इस जवानी जोश में ।
चंद पैसो के लिऐ क्यो आँखो पे पर्दा रहा ।।
है बदन चंदन का उपवन बात सच सौ फीसदी ।
जो छुआ इक बार उसने उम्र भर महका रहा ।।
रूठना उसको मनाना हर शरारत याद है ।
उसका मिलना या बिछड़ना ये भी तो किस्सा रहा ।।
बीज बोना प्यार के *साथी* *फसल* लहलाएगी ।
काट लेना चाहे जब भी इसमे कब घाटा रहा ।।
🌻🌻🌻🌻🌻584🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
(मो.9981013061)
आप रहते दिल में हरदम उनका ये कहना रहा ।
था यकीं खुद से भी ज्यादा बात ये सुनता रहा ।।
उसकी आँखो का तरन्नुम दिल ने हरदम ही सुना ।
दिल तभी उसके ही ख्यालो में सदा डूबा रहा ।।
है अजब अहसास यारो प्यार का कैसे कहें ।
खूब तोड़े ख्वाब दिल के फिर भी वो सच्चा रहा ।।
कद्र रिश्तों की नही की इस जवानी जोश में ।
चंद पैसो के लिऐ क्यो आँखो पे पर्दा रहा ।।
है बदन चंदन का उपवन बात सच सौ फीसदी ।
जो छुआ इक बार उसने उम्र भर महका रहा ।।
रूठना उसको मनाना हर शरारत याद है ।
उसका मिलना या बिछड़ना ये भी तो किस्सा रहा ।।
बीज बोना प्यार के *साथी* *फसल* लहलाएगी ।
काट लेना चाहे जब भी इसमे कब घाटा रहा ।।
🌻🌻🌻🌻🌻584🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
(मो.9981013061)
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