2122 1212 22
मेरी आँखों को गर पढ़ा होता
इतना दावा है तू मिरा होता ।
और करता यकीं अगर मुझपर
तू मेरे दिल से न जुदा होता।
खत मुहब्बत के हम भी लिखते पर
तेरे घर का पता मिला होता।
बेवफ़ा मुझको कहने से पहले
मशवरा दिल से कर लिया होता
फासले दरमियाँ न होते गर
कुछ सुना और कुछ कहा होता।
मौला तुझको मुआफ़ कर देते
तूने छोंटों को जो किया होता
ऐ *सना* काश जीते जी उससे
हक़ मुहब्बत का भी अदा होता।
सना
हरदोई
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