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बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

शायद यही प्यार है

शायद यही प्यार है

पहली नजर में हुआ
तुमसे पहला प्यार
बैचन सी रहती निगाहें
करती तेरा इंतजार
शायद यही प्यार है।

फूलों का खिलना
भँवरों का आगाज
झीनी-झीनी खुशबू
मन को लुभाती है
शायद यही प्यार है।

वो कसमे वो वादे
वादियों में मिलना
प्यार का इजहार
खूबसूरत एहसास
शायद यही प्यार है।

प्यारा सा सफर
वो दीवानापन
फिज़ाओ को मोहब्बत
के रंग में रंगना
शायद यही प्यार है।

दो दिलों का मिलना
मन मयूर नृत्य करना
लाख बंदिशें मगर
छुप-छुप कर मिलना
शायद यही प्यार है।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
       आगरा

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