रचना प्रकाशन हेतु प्रमाण पत्र
सेवा में,
सम्पादक महोदय
हिंदी साहित्य वैभव पत्रिका
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन यह है कि मेरी यह रचना(ग़ज़ल) नितांत मौलिक,अप्रकाशित और अप्रसारित है और मैं इसके प्रकाशन का अधिकार हिंदी साहित्य वैभव पत्रिका को देता हूँ!आशा है मेरी इस रचना का यथासम्भव उपयोग आपकी पत्रिका में हो सकेगा!
धन्यवाद
भवदीय
बलजीत सिंह बेनाम
103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी
हाँसी(हिसार)
मोबाईल:9996266210
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ग़ज़ल
प्यासों को भटकाते दर दर
प्यास नहीं तो देते सागर
प्यास नहीं तो देते सागर
मैं घुट घुट कर जब जीता था
हाल किसी ने पूछा आकर
हाल किसी ने पूछा आकर
जिस भी धरती में कुछ बोया
वो ही धरती निकली बंजर
वो ही धरती निकली बंजर
कोई तो खुश है दुःख देकर
कोई खुश सबके दुःख हर कर
कोई खुश सबके दुःख हर कर
चैन मिलेगा इससे पहले
अश्कों का तू जुर्माना भर
अश्कों का तू जुर्माना भर
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