कविता- वो है मेरी प्यारी माँ
जिद्द करने पर बहलाती है माँ
घर में नये पकवान बनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।
मेरी चोट पर हल्दी रखती है माँ
घर में सबकी चिन्ता करती जो
वो है मेरी प्यारी माँ।
गंगा-जमुना का मीठा झरना है माँ
मेरे रूठने पर प्यार से मनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ
दूर होने पर फोन से बुलाती है माँ
शैतानी पर भी डाँटकर हँसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ
मेरी आँखों में काजल रखती है माँ
अपनी ममता का रस बरसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।
9627193400 27 मार्च 2017