हिंदी साहित्य वैभव

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मंगलवार, 28 मार्च 2017

1:50 am

कविता- वो है मेरी प्यारी माँ

मेरे सपनों को सहलाती है माँ
जिद्द करने पर बहलाती है माँ
घर में नये पकवान बनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

आँचल की छाँव में रखती है माँ
मेरी चोट पर हल्दी रखती है माँ
घर में सबकी चिन्ता करती जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

अपने रोते बच्चों का पलना है माँ
गंगा-जमुना का मीठा झरना है माँ
मेरे रूठने पर प्यार से मनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ

जब नई नई कहानी सुनाती है माँ
दूर होने पर फोन से बुलाती है माँ
शैतानी पर भी डाँटकर हँसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ

अपने दुख को समेटे रखती है माँ
मेरी आँखों में काजल रखती है माँ
अपनी ममता का रस बरसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   9627193400          27 मार्च 2017

सोमवार, 27 मार्च 2017

4:14 am

गजल :-तुम्हारे सितम को सहन कर रहा हूँ

गजल क्र○ 5

तुम्हारे सितम को सहन कर रहा हूँ
जिगर का तलातुम दफन कर रहा हूँ
नशीली निगाहों से घायल हुये जब
जखम को छुपाकर कफन कर रहा हूँ
चमन में गुजारे खुशी के हसीं पल
तुझे मैं भुलाने का जतन कर रहा हूँ
तुम्हारे पुराने खतों को जलाकर
सुबह की हवा में मनन कर रहा हूँ
पुराने जखम पर दवा को लगाकर
लिबासे जिस्म को तपन कर रहा हूँ
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
    26 मार्च  2017

सोमवार, 20 मार्च 2017

5:00 am

“विश्व गौरैया दिवस”- 2017

जब आंगन में गौरैया चहचहाहट से लुभाती है
प्यारी गौरैया फ़ुदक-फ़ुदक मन को सुहाती है        
सब मिलकर गौरैया और बिटिया को बचाओ
जब नन्हीं गौरैया तिनकों का जाल बिछाती है

सबसे नज़र चुरा फ़ुदक कर दाना उठाती है
प्यारी गौरैया सब बच्चो के मन को भाती है
ये नन्ही चिड़िया धीरे-धीरे गायब होने लगी
प्यारी गौरैया कच्चे घर में घोंसला बनाती है

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   20 मार्च 2017

रविवार, 19 मार्च 2017

1:28 am

उत्तर प्रदेश- "योगी राज" कविता- वीर रस

गुन्डागर्दी बन्द करो,यूपी में जब से जोगी है
भ्रष्टाचार बन्द करो ,यूपी में अब से योगी है ।।
महाराष्ट्र में देवेन्द्र, यूके में त्रिवेन्द्र हुये सिद्ध
संन्यासी के हाथ में सत्ता योगी हुये प्रसिद्ध ।।
यूपी में ज्यादा रोगी है इनका इलाज योगी है
राज्यों में सुशासन है देश में जब से मोदी है ।।
देशद्रोहीयों,चोर-गुन्डों से जनता जब रोती है
हर नाकाम सरकारें अपनी सत्ता तब खोती है ।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   9627193400
 

बुधवार, 15 मार्च 2017

10:21 pm

गजल:- चाहत ए इश्क

गजल क्र○ 1

उसको जब मोहब्बत निभानी नही थी
उसको चाहत ए इश्क दिखानी नही थी

बडी मुश्किल से सीखा है तेरे बगैर जीना
इस दिल को मोहब्बत सिखानी नही थी

तुमसे सनम गिले-सिकबे दूर कैसै करे
दिल की हर बात तुमको बतानी नही थी

मुझको शामो-शहर तेरी याद आयेगी
फितरत  जालिम को आजमानी नही थी

जिन्दगी एहसासो की पटरी पर दौडती
वफा की रिवाज शहर में चलानी नही थी

तकिया कही, जुल्फे कही ,वो खुद कही
अब विकास वो आँखों में तरानी नही थी

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   5/03/2017

सोमवार, 13 मार्च 2017

12:14 am

होली/रंग


केसरिया गुलाल अम्बर से बरसा ऐसा पानी
नशीली आँखें गुलाबी गाल हर सूरत हरषानी

देखो छोटू भी भर लाया पिचकारी रंग वाली
गुडिया भी ले आई रंग-बिरंगे रंग की थाली

आया मौसम रंगने का कर दो धरती लाल
देवर ने लगाया भाभी के गालों पर गुलाल

घर-गली में ढम-ढम ढोल बजाते होली पर
होकर मस्त अबीर गुलाल उड़ाते होली पर

हमने भी खेली थी उनके संग उसदिन होली
फिर नही कर पाये उनके संग हँसी ठिठोली

अब तुम बोलो में किसके संग खेलूँ होली
जब सुना है मैनें वो किसी और की होली

जब पीकर भाँग हुडदंग किया इस होली
वो भी खिडकी से झाकनें लगी इस होली

सब मिल मिटा दो मतभेदों को इस होली
प्यारे फूल खिला दो गुलशन में इस होली

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   9627193400
   13/03/2017

रविवार, 12 मार्च 2017

5:35 am

फागुन/होली- सायली छंद

1
होली
पर्व आया
घर तुम आये
गुलाल संग
प्रीतम

2
कपडे
रंग बिरंगे
बन गये पकवान
खाओ मीठा
पान

3
साजन
तुम बिन
सब फीकी होली
देखती राह
गली

4
सबको
लगादो रंग
आओ बच्चों खेले
प्यार के
रंग

5
हर
रंग बेहद
ख़ूबसूरत लगता है
हो खुशियाँ
घर

6
भंग
पिला कर
मस्ती में खेलेगें
मिटा सब
दोष

7
आया
फागुन महिना
करलो होली हुडदंग
पिचकारी भर
संग

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
12/03/2017

शुक्रवार, 10 मार्च 2017

5:28 am

●मुक्तक- महफिल ए इशारा●

महफिल ए यार में देख हमें इशारा करती हो
सबसे नजर बचा आँखो से गवारा करती हो
मुझको छुपकर देखना तेरा बदनाम न कर दे
हमसे क्यू रूठ कर खुद से किनारा करती हो

©कवि विकास भारद्वाज "सुदीप"
05/03/2017

5:16 am

●मुक्तक- काजल-कलंक●


जब शबनमी आँखो मे वो काजल लगाती है
ना जाने कितने आरमाँ वो दिल में जगाती है
कंलक लगे ना आँचल पर यूही वफा निभाना
सदा पास है वो मुझको ये एहसास कराती है

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   10/03/2017

बुधवार, 8 मार्च 2017

12:09 am

●मेरे प्यारे वतन हिन्दुस्तान की शान है नारी ●

विज्ञान व तकनीकी को अब सिखाती है नारी ।
समाज व राष्ट्र को मजबूती दिखाती है नारी ।।
सीता, सती - सावित्री जैसी पूज्यनीय नारी                
पति - पत्नी  में  विश्वास  की  डोर  है नारी ।।

जन्म देती है, और बोलना सिखाती है नारी ।
खुद का सुख छोड बच्चों को पालती है नारी ।।
भाई-बहन के अनोखे बंधन में रहती हो तुम
अपने बच्चों के लिए ममता का सागर है नारी ।।

मेरे प्यारे वतन हिन्दुस्तान की शान है नारी ।
घर की सुख समृध्दि,परिवार का मान है नारी ।।
घर का काम बिना रूके करें,ना करे विश्राम
अबला नही मैदान में संग्राम का नाम है नारी ।।

घर-आँगन की शान, शक्ति की धारण है नारी ।
लक्ष्मीबाई बन देश-धर्म की रक्षा करती नारी ।।
दुनिया में बहन,माँ-बेटी,पत्नी के रूप हो तुम
एक ही सिक्के के दो पहलु हैं पुरुष और नारी ।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
 9627193400                                     
 08 मार्च 2017


रविवार, 5 मार्च 2017

12:28 am

♡बसंत का मौसम♡

पेडों पर नयी शाखाऐं और फूलों की डाली ,
खेतो मे लहराती सरसो और गेहूँ की बाली
हर तरफ खुशहाली बंसत के मौसम में
हल्की ठंण्क का सुहानी मौसम आ गया ।।

हर तरफ सुर-संगीत लहरमय वीणावादन
माता सरस्वती का संगीतमय अभिवादन ।
पतझड बीता, हर तरफ हरियाली छाई
नर्म हवा, कच्ची धूप का मौसम आ गया ।।

प्रकृति की सुन्दरता से तन मनमोहक हुआ,         बहती नदियाँ,आसमां में बादल छाया हुआ ।
नयी जगह घूमने,बागों में खेलने के दिन आये
रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाने का मौसम आ गया ।।

धूप-छाँव के बहाने सूरज धरती को सजाने
अब ऋतुराज को बसंत रंगीन परवेश बनाने
सदाबहार गीत प्रेम के प्रीतम को सुनाने
सुख-सम्रद्धि को बढाने देखो बसंत आ गया ।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
01/02/2017

12:27 am

वीरों को मेरा सलाम

विश्व में हर क्षेत्र मे देश का नेतृत्व करते है
हम भारत के युवा गुगल में भी कदम रखते है
पहन कफन सिर पे सीमा की रक्षा करते है
सो गये तिरंगा ओढ़ वीरों को नमन करते है।।

हमें वीरों तुम्हारे काम पर जरा भी शक नही है
औकात में रहे जो सेना से सबूत माँगते है
सरहद पर दुश्मन को मुँह तोड जवाब देते है
ऐसे भारत माता के वीरों को सलाम करते है।।

हर मिशन को अंजाम बडी खुद्दारी से देते है
सिने पे गोली खा कर जान नौछावर करते है
वतन के लिये जान निसार बार बार करते है
लौट के आना वीर सपूत हम इंतज़ार करते है।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
मोबा.- 9627193400

12:25 am

●एक नयी सुबह●


सुबह मंदिर की घंटी आरती की थाली है
सुबह नदी के किनारे सूरज की लाली है
सुबह की ख्वाहिशें शाम तक टाली है,
कुछ इस तरह हमने जिंदगी संभाली है

शमा में इस वहम में सो गये हम परवाने
कहीं आम न हो जाए बात, नींद खोली है
चिडियों की फिजा में प्रेम मधुर वाणी है
उठते हुए सूरज से नजर मिलने वाली है
छुयेंगे आसमां को हम एक रोज देखना है
ये लहूलुहान परिंदे उड़ान जारी रखना है

सूरज की किरणों में हवाओं का बसेरा
खुले इस आसमान मे सूरज का चेहरा
नयी सोच नयी उम्मीद रोशनी लायी है
फिर से नये सपनों का सबेरा लायी है

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   03 मार्च 2017

12:23 am

इश्क में पागल दीवानी लडकी

लहरें मुहब्बत की तुम्हारे दिल से उठती हो
किसी के इश्क मे पागल दीवानी लगती हो
जिसको एक नजर निगाहो में देख लेती हो                          
कयामत तक उस दिल को होश नही देती हो

फिजाओं में तुम हो इन घटाओं में तुम हो
इन हवाओं में तुम हो इन बहारों में तुम हो
नर्म धूप में तुम हो पेडो की छाँव में तुम हो
मेरे डायरी के हर अल्फाज गजल में तुम हो

कश्मीरी बर्फीली हसीन सर्द रात सी तुम हो
शर्मीली आँखो से मासूम लडकी दिखती हो
जब भी पथ पर मुस्कराके इतराके चलती हो
उस बाग मे सुन्दर गुलाब की कली लगती हो

©कवि विकास भारद्वाज "सुदीप"
     9627193400
25 फरवरी 2017

12:21 am

नेह दिवस/पावन-प्रीत/देश-प्रेम/मातृ-पितृ दिवस

१४ फरवरी
विषय-

हर प्राणी अपनी जन्मभूमि से जुड़ा होता है। वह उससे अलग अपने अस्तिव को पूर्ण नहीं मानता। मनुष्य कहीं भी चला जाये, विदेशों में उसे कितनी ही सुख मिले, वह वापस अपने देश आना चाहता है। वह अपना देश, अपनी संस्कृति कभी नहीं भूलता।

मनुष्य की तरह ही पशु पक्षी भी अपनी प्रेम-पावन के स्नेह बंधन एवं आकर्षण में बंधे होते हैं। पक्षी या पशु सारा दिन दाना पानी की खोज में यहाँ वहाँ घूमते जरूर हैं, पर रात को पक्षी अपने घोंसलों और पशु अपने खूँटें पर पहुँच जाते हैं

इतिहास देशभक्तों के बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। सभी देशों में देशप्रेमियों को सम्मान और स्नेह मिलता है। हमारे देश के कवियों और साहित्यकारों ने शहीदों और देश पर मर मिटने वाले देशभक्तों की अमर गाथाओं को जी खोल कर लिखा है।
भारत ने इन्टरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण कर दुश्मन को प्रेम का संदेश दिया है,
देशभक्ति के उदाहरण केवल ये शहीद ही नहीं हैं। देश का नाम सारे विश्व में रोशन करने वाले वैज्ञानिक, खिलाड़ी, कवि और लेखक भी महान देशभक्तों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे समाज सुधारकों, कलाकारों और समाज सेवकों के कार्यों से इतिहास भरा पड़ा है जिन्होंने देश की उन्नति के लिये अपना सार जीवन लगा दिया। देशवासी उन्हें शत शत प्रणाम करते हैं। देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।
मेरा गुलाब🌹उन शहीदों के लिये है
जिन्होंने देश के लिये जान दी..
उस दिन किस डे मनाया जा रहा था...
ऐ काश के लोग उन बच्चो के सिर को चूमते
जिनके सर पे हाथ फेरने वाला भी कोई नही
एक लड़की ने क्या खूब कहा है,
*मैं जब अपनी आँखें झुका कर चलती हुँ तो मेरे पिता और मेरा भाई सर उठा कर चलते है.....*
हम सब का परम कर्तव्य है कि अपने समाज मे प्रेम भाव से रहे एवं ईमानदारी से कार्यों का निरवाहन करें

✍ विकास भारद्वाज "सुदीप"
     खितौरा (बदायूँ)

12:19 am

इस बार वोट देश निर्माण के लिए

68 वाँ गणतंत्र दिवस 26-जनवरी-2017

हम सब मिलकर इस बार चुनावी चोट देगें
जाति-धर्म को छोड देशहित के लिए वोट देगें
देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार, कालाधन के खिलाफ
सरकार की कोशिश को हम सफल कर देगें।।

सोने के दिन गये अब तो चाँदी की रात है,
अब एक हजार के नोट की क्या ओकात है
अब सरकार से गरीबो,बेरोजगारों को आस है
यही भारतीय किसान की जन-धन पुकार है ।।

आधुनिक युग  में सपना युवा-चरम सफलता का हैं , 
विश्व में सत्यम शिवम सुंदरम ने कर दिखलाया है
इसरो ने फिर अन्तरिक्ष में तिरंगा झण्डा फहराया हैं,
पृथ्वी, मंगलयान भेज भारत का मान बढाया है ।।

जो दिक्कत होगी नोटबन्दी से हम गरीब झेल लेगें,
हम परेशानी उठा देशहित मे सरकार का साथ देगें ।
कालेधन वालो को हम सोचने पर मजबूर कर देगें,
कैशलेश का जमाना आया अब पेटीएम हम कर देगें ।।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,  हर हिन्दुस्तानी ,
भारत को फिर विश्व गुरू के पद पे बैठा देगें
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्य
बना हम देखना विश्व इतिहास दर्ज करा देगें ।।

मिले भारतीय सेना को फिर एक बार छूट ,
जवान युद्ध मैदान में तिरंगा झण्डा लहरा देगें ।
भारत के कश्मीर पर फिर से हमला करने वाले,
अबकी बार पाक तेरा नाम-ए-निशान मिटा देगें ।।
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400               22-जनवरी-2017
12:15 am

गीत गजल के सुर की जान तिरंगा

हर घर मे देशभक्ति की अलख जगाना है
वतन पर लहू का हर कतरा बहाना है ।
अब सबको एक द्रढ-संकल्प लेना है
भ्रस्टाचार को हिन्दूस्तान से मिटाना है ।।

इस बार मतदान से अच्छा नेता लाना है
कोई अच्छा ना लगे,नोटा का बटन दबाना है।
देश के गद्दरो पर चोट कर मुल्क बचाना है
कुछ कर भारत का विश्व मे सम्मान बढ़ाना है

देश के वीर जवानो ने कफन तिरंगा बनाया है
इस तिरंगे की शान पर पल-पल मर जाना है।
चट्टानो से अडिग हौसलें सबको बनाना है
गीत गजल के सुर की जान तिरंगा बनाना है

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
Mob.-9627193400
26 जनवरी 2017

12:13 am

मेरे हिन्द देश की संस्कृति

हम भारतीय अपनी संस्कृति से बेहद लगाब रखते है
भारत के उत्तरी कोने से दक्षिणी कोने तक भ्रमण करें तो निस्संदेह भिन्नताओं को देखते हुए यह विश्वास करना कठिन हो जाता है कि ये सब भारत के ही भू भाग हैं । यहाँ का धरातल कहीं पर्वतीय है तो कहीं सपाट, कहीं घने जंगल हैं तो कहीं पठार । भाषा की विविधता भी यहाँ देखने को मिलती है । कुछ प्रदेशों में हिंदी भाषी लोग अधिक हैं तो कुछ में अवधी या फिर मराठी भाषा प्रधान है ।

केवल अशिक्षित ही नहीं अपितु हमारे कथित सभ्य-शिक्षित समाज में भी दहेज का जहर व्याप्त है । प्रतिदिन कितनी ही भारतीय नारियाँ दहेज प्रथा के कारण मनुष्य की बर्बरता का शिकार हो जाती हैं अथवा जिंदा जला दी जाती हैं ।

अंधविश्वास व रूढ़िवादिता जैसी सामाजिक बुराई देश की प्रगति को पीछे धकेल देती है । अंधविश्वास व रूढ़िवादिता हमारे नवयुवकों को भाग्यवादिता की ओर ले जाती है फलस्वरूप वे कर्महीन हो जाते हैं । अपनी असफलताओं में अपनी कमियों को ढूँढ़ने के बजाय वे इसे भाग्य की परिणति का रूप दे देते हैं ।

भ्रष्टाचार भी हमारे देश में एक जटिल समस्या का रूप ले चुका है । सामान्य कर्मचारी से लेकर ऊँचे-ऊँचे पदों पर आसीन अधिकारी तक सभी भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए हैं। जिस देश के नेतागण भ्रष्टाचार में डूबे हुए होंगे तो सामान्य व्यक्ति उससे परे कब तक रह सकता है । यह भ्रष्टाचार का ही परिणाम है कि देश में महँगाई तथा कालाबाजारी के जहर का स्वच्छंद रूप से विस्तार हो रहा है ।

हमें ईमानदारी एवं कर्म निष्ठा से कार्य का निरवाहन करना चाहिए सामाजिक कार्यो मे भी सहयोग करना हमारा कर्तव्य है

12:10 am

पहाडो की रानी : नदी

सदियों से पहाडो के बीच बहती हुई,
शांत, सहनशील नदी के सुन्दर नजारे ।
दूर आसमां में छटा बिखेरता चाँद,
फिजा का प्यारा सुहावना रंगीन मौसम ।।
आसमान में टिके हुये चाँद-सितारे,
उस पर सफ़ेद बादलों के नजारे ।
बगुला रखता मछली पर ध्यान,
मनमोहक सा फुहार का मौसम ।।
चहचहाती चिडियाँ,फूलों पर तितली रानी,
मेढक-टिड्डे उछले,बोले कोयल मधुर बाणी ।
चंचल-ए-ठण्डी हवाऐं दिल छू जाये,
खुबसूरत झरना सबके मन को भाये ।।
नदी पर पनहारिन की बातें,पनघट के किनारे,
सुहाने मौसम की सौगातें,झरने के पुरनूर धारे।
काश...तुम साथ होती नदी के किनारे,
साथ बैठ करते मस्ती नदी के किनारे ।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
8/01/2017 Sunday

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