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शनिवार, 4 जनवरी 2020

Re: betian voh prindey......


मान्यवर  मित्रों ,

लो क्ल लो बात ......

बेटियां  वो  परिन्दे  हैं  ज़िनके  पर  नहीं  होते 
कहने  को  ठिकाने  दो  मगर  घर  नहीं  होते 

बेटे  माने नीव सदा और बेटियां  कमजोर  कड़ी 
बेटे  बांटे  जमीन  बेटियां  दर्द  में  पास  खड़ी 
सिक्का  एक  पेहलू  दो  कभी  जाना  मेरे दोस्त 
दिवारें  चाहे  कितनी  बिन  इनके  पूरे  घर  नहीं  होते 
बेटियां  वो  परिन्दें .......

कलाई  का बंधन ये  अटूट  हैं  ज़िनका  विश्वास 
रहती  सदा  अंगसंग  खुशियां  लिए  अपनें  साथ 
चाहे  कितनी  रहे  दूर  कभी  समझा  इन्हें  प्यारे 
यह  ऐसे  रिश्ते  हैं  जिन  में  ड़र  नहीं  होते 
बेटियां  वो  परिन्दे .......

प्यार से  जीते  जग सारा  ये  लक्ष्मी  रूप 
ममतामयी  मुरत  हमें  लगने  न  दे कभी   धूप 
स्वारें  जीवन  को  सदा  सोचा  कभी  क्या  तुमने 
कितनी कठिन  रहे परिस्तिथियां  हौंसले  कम नहीं  होते 
बेटियां  वो  परिन्दें ....

आपका अपना ,
वीरेंद्र  कौशल

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