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शनिवार, 4 जनवरी 2020

ग़ज़ल - वीगा जमीन यूँ मकानों में बंट गया।


वीगा जमीन यूँ मकानों में बंट गया।
फिर यूँ हुआ चंद ठिकानों में बंट गया।

बेसबब मुझसे कोई आकर कह गया,
जमीन के टुकड़े विवादों में बंट गया।

भाई ही भाई का दुश्मन बन बैठा,
कोर्ट में पेश संवादों में बंट गया।

आपस में झगड़ते रहते थे नित रोज,
भाई का प्यार दीवारों में बंट गया।

आपसी मनमुटाव बढ़ गया इसकदर,
बड़ा सा गोदाम दुकानों में बंट गया।

सुमन अग्रवाल 'सागरिका'
         आगरा

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