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शनिवार, 4 जनवरी 2020

New poem MEHNAT KAR...ROZI KMA. ...

लो  क्ल लो बात ...

एक बार फिर  ताज़ा अल्फाज़ सहारे .... आप के  द्वारे 

मेहनत  कर और   रोजी  कमा 
खुश  रह हर  त्योहार  मना 

हर  त्योहार  अपार खुशीयाँ  देता
गरीब का  पेटा भर  देता 
यही है  सब की  पुंजी 
हर  सफलता  की  खालिस कुंजी 
कर  भला  और फिर भूलजा 
चाहे  कोई  ख़ुशी  फिर  गुनगुना 
मेहनत  कर .......
खुश रह हर ......

आचरण  खातिर  बनवास  भी  प्यारा 
सीताहरण कारण  विद्वान  भी  मारा 
सदा  भाईयों  संग  बांटा प्यार 
त्याग  खातिर  सदा  रहे  तैयार 
संस्कारों  को  सदा  सार्वोपरि  माना 
फिर  चाहे होली -दीपवली  साथ  मना 
मेहनत  कर .......
खुश रह हर .......

सदा  अपनो  ही सहारे जीत 
न  कोई  दुशमन  सारे  मीत 
झूठ  फरेब  अपवाद  से  बच 
ईमानदारी  विश्वास ही  केवल  सच 
सभी  संग  अपना  व्यवहार  जता 
फिर  चाहे  मोहर्ररम   ईद  मना 
मेहनत  कर .....
खुश रह हर .....

सवा लाख से  एक  लड़ाया 
अपने  शेहजादों  को  भी  चिनवाया 
सदा खुशहाली खातिर  विनती कीती 
नहीं  बखारी  अपनी  आप  बीती 
गैरों खातिर  दिया  लंगर  लगा 
फिर  चाहे  शहीदीदिवस  गुरूपर्व  मना 
मेहनत  कर .....
खुश रह हर .....

सच्चाई  खातिर  सूली  पर  चढ़ 
नहीं  कबूला कभी  दूसरा  गढ़ 
प्रेम  संदेशा  ही  दिया  हर  लम्हां 
कभी  संता  बन  दिये  उपहार 
मन में  धारा  सदा  उपकार 
फिर  चाहे  गुड-फराईड़े  क्रिसमस  मना 
मेहनत  कर .....
खुश रह हर .....

कभी  न  कर  नीयत  खोटी 
हर  मेहनत  पर  मिले  रोटी 
नीयत  साफ  तो  डर  नहीं 
कोई भी  एक  आडम्बर नहीं 
सदा  सभी का  चाह  भला 
फिर  चाहे  कोई  उत्सव  मना 
मेहनत  कर .....
खुश रह हर .....

आपका अपना ,
वीरेन्द्र  कौशल

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