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शनिवार, 4 जनवरी 2020

Re: chhod de nasha.....poem


मान्यवर  मित्रों ,
लो क्ल लो बात ...

मेरे  दिल से  निकले  नए  भाव ... आपके  साथ  साँझा कर रहा हूँ ...

छोड़  दे  नशा ...नई  इबादत लिख दे ....

नशे की  आड़ में  गुनाह  होते  देखें हैं 
फिर  जीवन भर अपने  आह  ढ़ोते  देखें हैं 
नशे की  गिर्रफत  में  होने का  कारण  तो  बता 
छोड़  दे  नशा एक  नया  वातावारण  बना 
कर  नशा  गर  करना  तो   किसी अच्छी  चीज़  का 
तरेगा  जीवन  गर  पीया  अमृत  सहित्य  बीज  का 
लिखना  हैं तो  लिख  दर्द  जवानी  का 
दूसरों के  ज़ुल्मों  की  मनमानी  का 
नशा  तो  नाश  और रास्ता  उदास  है 
लेकिन  जीवन में  फिर भी  आस  हैं 
छोड़ नशा  खेल  अपनी  तकदीर  से 
लिख अपनी  नई  कहानी अपनी  तदबीर से 
नशा  कर  खुलकर  तू  देश  भक्ति  रानी का 
गर्व  कर  पूरा  अपना होने  हिन्दुस्तानी  का 
बदल  देश की  तस्वीर  अपने  नेक इरादों  से 
छीन  दुख  दर्द  दुनियां  के सच्चे  वादों  से 
भर  दे  रंग नए  नई   तिज़ारत  लिख दे 
छोड़  दे  नशा  नई  इबादत  लिख दे 
छोड़  दे  नशा .......

आपका अपना ,
वीरेन्द्र  कौशल

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