जब से नदिया के उस पार गए है हम ।
जीती बाजी कसम से हार गए है हम ।।
टूटे दिल के सीसे ,एक बेवफा के खातिर ।
खुद अपने मन को मार गए हैं हम ।।
जब से नदिया के उस पार गए है हम ।
जीती बाजी कसम से हार गए है हम ।।
भोला बन गए हम भी,भोली सी सूरत के पीछे ।
त्यागी घर कि सुविधाएं, जीवन भर बरबाद भए है हम ।।
जब से नदिया के उस पार गए है हम ।
जीती बाजी कसम से हार गए है हम ।।
कवि एवं गीतकार -
जीतेन्द्र पुरी
9118837179
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