गीत - ये भी क्या कोई जीना है ---
(गीतकार - जीतेन्द्र कानपुरी)
दिल ,दिल्ली और पूना है । फिर भी ये दिल सूना है ।
तुम्हारे बिना,तुम्हारे बिना। ये भी क्या कोई जीना है ।।
ये भी क्या कोई जीना है
ये भी क्या कोई जीना है ......
बिखरी बिखरी रातें है । मन में हजारों बातें है ।।
पर किससे बताऊं मै । न कोई करीब हसीना है ।।
ये भी क्या कोई जीना है
ये भी क्या कोई जीना है....
हर रोज बस मै जुदाई के । सदमे सहता रहता हूं ।।
बोलने को जी करता है । फिर भी मै चुप रहता हूं ।।
रब ने मुझको मेरी कसम
जी भर के दुख दीन्हा है ..
ये भी क्या कोई जीना है
ये भी क्या कोई जीना है ......
गीतकार एवं राष्ट्रीय कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
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