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बुधवार, 29 जुलाई 2020

कविता - जीतेन्द्र कानपुरी की

"एक बार सोचो बस कर डालो"

एक बार सोचो 
बस कर डालो ।
अपने आप को
 पल में बदल डालो ।।
वरना वक्त कम है 
ये भी निकल जाएगा ।
दीप जो तुझमें जलता है
वो भी बुझ जाएगा ।।
लेखक एवं राष्ट्रीय कवि
जीतेन्द्र कानपुरी

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