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रविवार, 2 सितंबर 2018

पुस्तक समीक्षा :- खोजना होगा अमृत कलश (काव्य संग्रह)

पुस्तक समीक्षा
कृति :- खोजना होगा अमृत कलश (काव्य संग्रह)
कवि :- राजकुमार जैन "राजन"
पृष्ठ:- 120
मूल्य:- 240/-
प्रथम संस्करण:- 2018
प्रकाशक:- अयन प्रकाशन,1/20,महरौली, नई दिल्ली 110030
समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
 कवि,साहित्यकार
    बाल साहित्यकार राजकुमार जैन "राजन "की कृति 'खोजना  होगा अमृत कलश" में कुल 50 कविताएँ हैं। अब तक कवि राजन की बाल साहित्य की 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। यह कृति उन्होंने अपने पिता श्री अम्बालाल जी हिंगड़ व माता श्रीमती इन्द्रा देवी हिंगड़ जी को समर्पित की है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजन जी आकोला जैसे गाँव से काव्य यात्रा प्रारम्भ करने वाले कवि एवम बाल साहित्यकार हैं। ये अंतराष्ट्रीय मंचों से सम्मानित है। प्रस्तुत कृति की भूमिका में पूर्व अध्यक्ष राजस्थान साहित्य अकादमी के वेदव्यास जी लिखते हैं कि राजन जी जैसे युवा कवि जैसी और समाज के प्रति ऐसी दीवानगी व बेचैनी आज बहुत कम दिखाई देती है। राजन जी संपादक ,प्रबंधक होने के साथ साथ राजस्थानी भाषा के एक अच्छे रचनाकार भी है।सुपरिचित साहित्यकार घनश्याम मैथिल अमृत ने इनकी रचनाओं के प्रति उपज अमूल्य अभिव्यक्ति दी है।
  इस कृति की प्रथम रचना लाखों संकल्प में कवि ने महाभारत के पात्रों को प्रतीक बनाते हुए कविता का सुन्दर सृजन किया है। मन का युद्ध का चित्रण देखते ही बनता है। वैचारिक शैली में है यह कविता जिसमें दुर्बल मन ही द्रोणाचार्य है। क्षुब्ध ह्रदय ही हस्तिनापुर है। शरशय्या पर पड़ा विवेक ही भीष्म है। मनुष्य की कल्पना ही अभिमन्यु है। कवि की अगली कविता "बन जायेगा इतिहास "में अर्वाचीन काल में बढ़ती दानवता पूर्ण घटनाओं पर पैनी कलम चलाई है। राजन की भावपूर्ण कविता व्यक्ति को सोचने के लिए विवश करती है। उनकी पंक्तियां देखिए-"दानवता के बीज बो मुस्कुरा रहा आदमी 
        ज़िंदगी का गीत कविता में लूट,हत्या, बलात्कार ,स्वार्थपरता ,भाईचारे की कमी, आज की मेहमाननवाजी का सजीव चित्रण किया है। अंतहीन अनुसंधान रचना में राजन लिखते है- जिंदगी एक अनुसंधान, अनवरत अंतहीन यात्रा, अंधकार के बीज में परम्परा ,संस्कृति ,संस्कार का समाज में धीरे धीरे समाप्त हो रहे विषयों पर लिखते हुए, वे कहते है अंधकार के बीज मत बोओ।
       तुम कौन हो ,हाथ में वसंत, नियति, हारा भी नही हूँ मैं, हाशिएं पर वह, अस्तित्व बोध, आशा की लो जलती रहेगी जैसी कविताएँ भी इस काव्य संकलन में कवि की आशावादी सोच को दर्शाती है। स्मृतिओं के पांव में कवि लिखता है मरु भूमि में भी खिलेगा अब आशा और विश्वास का गुलाब। व्यक्ति यदि ज़िंदगी में श्रम करे तो निश्चित रूप से रेगिस्तान भी हरा भरा हो सकता है। 
         अँधेरे के ख़िलाफ़ कविता में जुगनुओं के माध्यम से अज्ञान रूपी तिमिर के खिलाफ लड़ने की सीख देती हैं।'सभ्यता के सफर ' कविता में कवि ने गिरगिट की तरह आदमी को रंग बदलते हुए समाज में देखा है। वे लिखते है 'हर इंसान के चेहरे पर,एक नकली चेहरा है।
          खोजना होगा अमृत कलश इस संग्रह की शीर्षक कविता है इसमें कवि सत्यम शिवम सुंदरम का प्रकाश देश के हर व्यक्ति में देखना चाहता है। भारत की धरती पर सद्भाव व भाईचारे की भावना को संजोए वे लिखते है "खोजना होगा उस अमृत कलश को,भर दे धरा पर जो प्यार की ख़ुशबू"। सद्भाव के दीपक जलाएं,सत्यम शिवम सुंदरम का प्रकाश।
          राजन की कविताओं में आम बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। कविता का उद्देश्य प्रत्येक रचना में स्पष्ट दिखाई देता है। इनकी कविताओं में सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय के साथ साथ संस्कार, संस्कृति,आर्थिक,सामाजिक गतिविधियों एवं सियासत के गलियारों में अंतर्द्वंद्व पर लिखने का अलग ही कार्य किया है। कवि इस कृति के माध्यम से समाज में जीवन मूल्यों की स्थापना करना एवं संवेदनशीलता के साथ सामाजिक विसंगतियों के प्रति चिंता जाहिर करता है। राजन ने अपनी छन्दमुक्त रचनाओं में आम आदमी की बात आम भाषा में ही लिखी है।
        "पीड़ा के दुर्गमपथ "कविता में रिश्तों में पड़ रही दरारों का सच लिखा है। बोन्साई पेड़ों की तरह छोटे हो गए रिश्ते। "खण्ड खण्ड अस्तित्व" कविता में कवि कहता है- लक्ष्य की पगडंडियाँ स्वयं ही मंज़िल छूने लगी। सफल होने के लिए एक लक्ष्य रखकर आगे बढे तो निश्चित रूप से मंज़िल मिलती है। इसी प्रकार इस काव्य संग्रह की अन्य कविताएँ अर्थ युग का चमत्कार, हथेली पर सूरज उगाओ,अंधेरे के खिलाफ़, सूखे फूलों की गंध,बेरोजगार,अर्थ खोते रिश्ते,व्यामोह,जिजीविषा, बचपन की बरसातआ आदि कविताएँ भी प्रेरणास्पद लगी। इन कविताओं से जीवन में नई ऊर्जा,उमंग का संचार होता है। इस कृति की अंतिम कविता "जीवन का चक्रव्यूह" है,इसमें कवि कहता है- 'हर ख़्वाब सूरज बन चमकेगा एक दिन।' यथार्थतः व्यक्ति संकल्प के साथ शिखर पर पहुंच सकता है। 
 इस कृति के  मराठी,पंजाबी,नेपाली,गुजराती भाषा मे अनुदित संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। शीघ्र ही असमिया,राजस्थानी,अंग्रेजी भाषा में भी  इसके संस्करण प्रकाशित होंगें।
             मेरी और से युवा कवि राजकुमार राजन जी को बहुत बहुत बधाई, हार्दिक शुभकामनाएं, साहित्य जगत में यह कृति अपना स्थान बनाएं। खोजना होगा अमृत कलश सामाजिक समस्याओं के समाधान का गुलदस्ता है।

98,पुरोहित कुटी 
श्री राम कॉलोनी
भवानीमंडी

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