फूलो से माला बनती है ।
बिना कली कोई फूल न होता
बिना फूल नही माला बनती है ।
पेड़ पौधो से वाग खिलते है ।
भंवरे गुन्जन उसमे करते है ।
फूल फूल का रस पीते है ।
भंवरे की गुंजन से वगिया के
फूल भी सहमें रहते है ।
फूलो का रस पान करना
भंवरो की आदत होती है ।
फूल और भवरे की जोडी
कुदरत का करिश्मा है ।
रस पान करे न फूलो का
भंवरा नही रह सकता है ।
कली कली का रस पान करे
भंवरा यही तो करता है
कली फूल और भंवरे का
आपस का यह रिश्ता है ।
रस पान करे न फूलो का
भंवरा जीवित नही
रह सकता है ।
अनन्तराम चौबे * अनन्त *
जबलपुर म प्र
1681/569
9770499027
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