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रविवार, 2 सितंबर 2018

कली कली से फूल बनता है फूलो से माला बनती है । बिना कली कोई फूल न होता बिना फूल नही माला बनती है

कली कली से फूल बनता है
फूलो से माला बनती है  ।
बिना कली कोई फूल न होता
बिना फूल नही माला बनती है ।
पेड़ पौधो से वाग  खिलते है ।
भंवरे गुन्जन उसमे करते है ।
फूल फूल का रस पीते है ।
भंवरे की गुंजन से वगिया के
फूल भी सहमें रहते है ।
फूलो का रस पान करना
भंवरो की आदत होती है ।
फूल और भवरे की जोडी
कुदरत का करिश्मा है ।
रस पान करे न फूलो का
भंवरा  नही रह सकता है  ।
कली कली का रस पान करे
भंवरा यही तो करता है
कली फूल और भंवरे का
आपस का यह रिश्ता है ।
रस पान करे न फूलो का
भंवरा जीवित नही
 रह सकता है ।

        अनन्तराम चौबे * अनन्त *
         जबलपुर म प्र
          1681/569
         9770499027

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