सना परवीन 'मेहनाज'
10:46 am
ग़ज़ल :- तुम्हें देखा लगा जैसे कि तुमसे जिंदगानी है - सना परवीन
एक प्रयास
काफ़िया - आनी
रदीफ़ - है।
बहर - 1222 x4
तुम्हें देखा लगा जैसे कि तुमसे जिंदगानी है ।
बना लूँ हमसफर तुमको ये मेरे दिल ने ठानी है ।।
रखेगा याद हमको यह ज़माना आखिरी दम तक,
लिखेगें प्यार का नगमा नहीं झूठी कहानी है ।।
नहीं बाकी रहा देखो वफाओं का नगर कोई,
जफा की आँधियों में उड़ गई हर इक निशानी है।
तुम्हारे साथ मे होंगी हमेशा सीरतें साहब,
ये सूरत चार दिन की है ये पल दो पल जवानी है।
हँसीं रंगों से उल्फ़त के भरूंगी मैं तिरा दामन,
मुझे तो साथ तेरे प्यार की महफ़िल सजानी है।
सना मेहनाज़
हरदोई