हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

सना परवीन 'मेहनाज' लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सना परवीन 'मेहनाज' लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

10:46 am

ग़ज़ल :- तुम्हें देखा लगा जैसे कि तुमसे जिंदगानी है - सना परवीन

एक प्रयास
काफ़िया - आनी
रदीफ़ -   है।
बहर  -  1222 x4

तुम्हें  देखा  लगा  जैसे  कि तुमसे जिंदगानी है ।
बना लूँ हमसफर तुमको ये मेरे दिल ने ठानी है ।।
 

रखेगा याद हमको यह ज़माना आखिरी दम तक,
लिखेगें प्यार का नगमा नहीं झूठी कहानी है ।।

नहीं बाकी रहा देखो वफाओं का नगर कोई,
जफा की आँधियों में उड़ गई हर इक निशानी है।

तुम्हारे  साथ मे होंगी हमेशा सीरतें साहब,
ये सूरत चार दिन की है ये पल दो पल जवानी है।

हँसीं रंगों से उल्फ़त के भरूंगी मैं तिरा दामन,
मुझे तो साथ तेरे  प्यार की महफ़िल सजानी है।

सना मेहनाज़
हरदोई
7:20 am

ग़ज़ल :- चढ़ता रहा खुमार तुम्हारे शबाब का - सना परवीन

221 2121  1221 212

चढ़ता रहा खुमार तुम्हारे शबाब का,
मिलने लगा जवाब मुझे मेरे ख़्वाब  का।

तुमने जो फूल छुपके  दिया था क़िताब में
हर हर्फ़ ख़ुशबूदार  है अब तक क़िताब का 

बेचैन हो रही हूँ यही सोच सोच कर
कोई खबर न खत ही  मिला है जनाब का।

देकर दिलासा आप ये टालेगें कब तलक
पैग़ाम आ रहा है मिरे घर नवाब का ।।

वो पूछते हैं आज *सना* क्या दिया हमें
रखता है कौन प्यार में पर्चा हिसाब का ।।

सना परवीन 

12:41 am

ग़ज़ल :- ख्वाब का वो कारवां जाने किधर खोने लगा - सना परवीन


काफ़िया- ओने
रदीफ़-  लगा
बह्र-  2122  2122  2122  212

ख्वाब का वो कारवां जाने किधर खोने लगा
मैं जगी आँखों को फिर से अश्क से धोने लगा 

याद में मुझको तड़पता देखकर ऐ जानेमन
चाँद तारों से लिपटकर फूटकर रोने लगा।

रफ़्ता रफ़्ता बढ़ रहा है मस्तियों का सिलसिला
मेरी यादों के महल में जब से वो सोने लगा 

नफ़रतों से जल रहा है आज घर-घर आदमी 
प्यार के मैं बीज यूँ भी हर तरफ़ बोने लगा 

सादगी हुस्न-ओ-तबस्सुम दिलकशी थी इस कदर 
देखकर उस शख़्स को बस इश्क सा होने लगा 

सना  'मेहनाज़'
हरदोई
12:38 am

ग़ज़ल :- ये बादल तुम पे बरसेंगे वफ़ा की बात जब होगी - सना परवीन

1222 1222 1222 1222

ये बादल तुम पे बरसेंगे वफ़ा की बात जब होगी ,
कि गुजरेंगे खयालो से हम दिलो की रात जब होगी ।

तुम्हारे दिल में हम उतरेंगे वो रानाइया लेकर ,
धड़कती धडकने उस दम हमारे साथ जब होगी ।


अजी हमको यकी तुमपे तो खुद से भी जियादा है ,
चली आऊगी मैं दौड़ी तेरी आवाज़ जब होगी ।

सना कहती चले संग संग कि देखा कल किसी ने ना 
गिरेगे अश्क आंखों से वो यादें याद जब होंगी ।

कभी डोली मेरे आगन लेकर तो  आईये हमदम 
बनूगी मैं तेरी दुल्हन शब-ए - बारात जब होगी l

सना परवीन
12:06 am

ग़ज़ल :- तुम्हारे दिल का करार हम हैं हमारे दिल का करार तुम हो - सना परवीन

12122 12122 12122 12122

तुम्हारे दिल का करार हम हैं हमारे दिल का करार तुम हो ।
इसी से दिल में खुशी बसी है ,हमारे दिल पर निसार तुम हो ।।

हुआ मुकम्मल ये इश्क़ तुम से नहीं अधूरा कुई सफ़र है ,
लगा लु खुद को गले से तेरे पनाह तुम हो हिसार तुम हो।

सजा दे जुल्फ़ो को आज मेरी बना ले हमको हबीब अपना,
महकती सांसे बता रही हैं वो बाग तुम हो बहार तुम हो।

हमे मिली है ये नामवारी ये ऐश इशरत व ताजदारी ,
बता दूँ सारे जहाँ मे मैं वो नबाब तुम हो वकार तुम हो।

फ़जा कि रंगत बदल रही है तुम्हारी यादें सता रही हैं 
सना करे ये सना तुम्हारी वफ़ाए तुम हो ख़ुमार तुम हो ।

सना परवीन
12:03 am

ग़ज़ल :- हसींं खूबसूरत सितारे बहुत हैं - सना परवीन

122 122 122 122

हसींं  खूबसूरत  सितारे बहुत हैं ।
गुलाबी फ़िज़ा में नजारे बहुत हैं ।।

पलटकर के देखो जमाने में साहिब 
हमारे सिवा भी तुम्हारे बहुत हैं। 

न समझे मुझे तुम न मेरी मुहब्बत
किये मैने तुमको इशारे बहुत हैं।

गुलों की ये खुशबू डराती बहुत है
पड़े दिल पे मेरे शरारे बहुत हैं।

हुई हद है अब तो चले आओ दिल मे
बिना आपके पल गुजारे बहुत है।

झुका लो यहाँ सर जहाँ भी हो गलती
शहर में वली की मजारें बहुत हैं।

सना डर न जाना कहीं जंग में तुम 
फतह कर मुहब्बत में हारे बहुत हैं।

सना परवीन 
12:01 am

ग़ज़ल :- नींद आंखों से रुठ जाती है - सना परवीन

बहर - 2122 1212 22
रदीफ़- है
काफिया- आती

नींद आंखों से रुठ जाती है
हिज्र में याद जब सताती है।

दिन गुज़रता है तेरी यादो 
रात ख्वाबो में बीत जाती है।

चुप लगा जाती है हर इक आवाज़
ख़ामुशी शोर जब मचाती है।

बिन तेरे जीना अब हुआ मुश्किल
मेरी चाहत तुझे बुलाती है।

दिल की टहनी पे याद की कोयल
इश्क़ के गीत गुनगुनाती है।

सादगी ऐसी क्या कहें अब हम
अपना ग़ैरों को भी बनाती है।

अश्क लगते हैं बहने आंखों से
जब भी वो दास्ताँ सुनाती है।

हाँ *सना* बस खुदा ही जाने ये
बे कसी हमको जो सताती है।

सना
हरदोई

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.