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मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

बदायूं :पिछले कुछ समय पहले शहर मे एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया -- षटवदन शंखधार

कुछ इधर कई पढी ---------------------------------
कुछ इधर की पढी कुछ उधर की पढ़ी !
कैसे लगती भला तालियो की झड़ी !
एक श्रोता उठा और कहने लगा !
तुमने जब भी पढ़ी बाप की ही  पढ़ी !!

बदायूं :पिछले कुछ समय पहले शहर मे एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमे कई राष्ट्रीय स्तर के कवियो ने काव्य पाठ किया मंच का संचालन एक ओजस्वी कवि ने किया जिसने मंच की कलाकारी चलते हुये उस रचनाकार को सबसे पहले ही बुला लिया जबकि कई बार पहले उसने हमेशा ऐसे मंचो पर अपने आपको बीच मे पढने का निवेदन करते हुये देखा गया है लेकिन कुछ कवि शातिर दिमाग होते है कही शहर का व्यक्ति हिट न हो जाये इसलिए पहली बार मे ही बुला लो और फिर बेइज्जती करा दो !
उधर उस अकवि ने भी ऐसी रचना पढी जिसका जिसका वर्तमान परिस्थिति से दूर दूर तक कोई संबध नही था इतने मे ही एक बुजुर्ग श्रोता पीछे से झल्ला पढे और यह कहते हुये उठ गये कि इसने जब पढी बाप की ही पढी!
इतनी जब शहर के युवा कवि षटवदन शंखधार के कान मे पढी तो यह मुक्तक गढ दिया जिसकी चर्चा बहुत दूर दूर तक है

© षटवदन शंखधार
     बदायूँ (उ०प्र०)

षटवदन शंखधार

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