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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

कवि जीतेन्द्र कानपुरी

खबरों में रहो और खबरदार रहो-

लड़ भिड़ कर स्वयं न बेकार रहो ।
मौज में रहो मजेदार रहो ।।
जिंदगी भर असरदार रहो ।
खबरों में रहो ,खबरदार रहो ।।

जिंदगी है जूझने का नाम ,
जूझते रहो ।
जूझने से बनते हैं काम,
जूझते रहो ।।
इसलिए ,खून पसीना बहा ओ
जनाब ,किसी के बहकावे में न आओ ।।

खाली न बैठो, न बेकार रहो ।
न किसी के भरोसे , न लाचार रहो ।।
हरदम घोड़े की चाल पे सवार रहो ।
लहराती नदी को हर संभव पार करो ।।

जो खाली है वो तुम्हीं से लड़ जाएंगे ।
तुम्हारा समय भी नष्ट कर जायेंगे ।।
लड़ाकू लोगों से न बात करो ।
गधों और मूर्खों का न साथ करो ।।

जिंदगी है छोटी अपनी उन्नति को सोचो ।
सर्वगुण सम्पन्न होके अवगुणों को रोको ।।
तरक्की के लिए बस जीवन झोकों ।
फ़ालतू में इधर उधर किसी को न टोंको ।।


लड़ भिड़ कर स्वयं न बेकार रहो ।
मौज में रहो मजेदार रहो ।।
जिंदगी भर असरदार रहो ।
खबरों में रहो ,खबरदार रहो ।।

लेखक कवि एवं कहानीकार
जीतेन्द्र कानपुरी ( टैटू वाले)

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