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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

जीतेन्द्र कानपुरी के उपन्यास का आखिरी भाग -

 - जीतेन्द्र कानपुरी के उपन्यास का आखरी भाग -
               (मिस्टर आरके सिंह ) 

तुम अपने बच्चो को पुलिस में भर्ती करवा देना फिर मेरी पिटाई करवाना ।
 और मुझसे मेरी मत पूछो ? 
"मै जब चाहूंगा तभी तोड़ दूंगा तुम्हे ।"
मेरा नाम है "आनंद सिंह राणा"
तुम्हारे जैसे कानून को जेब में डाल के घूमता हूं ।
जितने तुम्हारे रिश्तेदार हो मिलने वाले दोस्त यार हो सबको बुला लेना 
मेरे बार बनवा लेना ।
मै अकेला ही तुम्हारे खानदान की धज्जियां उड़ा ने में सक्षम हूं ।

और सुनो तुम आज से कल तक 
कल तक का मतलब है जिंदगी भर के लिए चुनौती देता हूं जो उखाड़ना हो उखाड़ लेना ।
मेरा नाम तो जानते ही हो - आनंद सिंह राणा है ।
मैंने किताबों में पढ़ा था  - अपराधी बनते नहीं है बनाए जाते है ।
लो आज देख भी लिया , मुझे मजबूरन तुम जैसे दुष्ट लोगों के खिलाफ हाथ उठाना पड़ रहा है 
क्योंकि मैं कानून के सहारे नहीं बैठ सकता , दस बीस साल तक इंसाफ होने में उसकी राह नहीं तक सकता ।
अब मै स्वयं ही इंसाफ करूंगा ।
मेरे भाइयों के कातिलों का मै सर्वनाश कर दूंगा ।
ये तुम्हे चेतावनी देने आया हूं मिस्टर आरके सिंह ।
तुमने अभी वो नजारा नहीं देखा 
जिसे आंखों देखी कतल कहते है 
उसे देखने में कुछ वक़्त लग सकता है मगर जो देखने को तुम्हारी आंखें तरस रही हैं वो तुम्हे देखने को अवश्य मिलेगा ।
अभी जिसके जिसके दूध के दांत उखड़ने बाकी है वो आज से "आनंद सिंह राणा" का इंतजार करना शुरू करे ।
दूध के दांत गिरेंगे  और छठी के चावल याद आ जाएंगे ।
तुम्हारे दिन ऐसे बहुरेंगे रॉकी, कि तुम्हारी  लाश को कुत्ते ही खा जाएंगे ।। 

आज से तुम अपनी जिंदगी बचाने का इंतजाम करो 
नहीं तो  मै तुम्हे जहन्नुम के दरवाजे में भेज दूंगा ।

रॉकी सिंह - तुम अभी अपने खाने पीने का इंतजाम करो राणा ।
घर में बच्चे भूख से बिलबिला रहे होगें ।
और ये कहावत तो सुनी ही होगी तुमने कि जो लोग ज्यादा बकबक करते है वो तो वैसे भी कुछ नहीं कर पाते । 
मुझे ज्यादा बोलने का शौक नहीं है ।
मुझे जो करना है वो मै करूंगा 
तुम अपना परिवार बचा सको तो बचा लेना राणा ।

आनंद सिंह राणा - मिस्टर अब तुम अपनी ओर अपने बीबी बच्चो की फिकर करो ।
मै तो तुम्हे बस इतना ही बताने आया था ।
बाकी का नजारा तुम खुद देखोगे ।
वो आदमी भी क्या जो सरेआम बेज्जत होता रहे और कुछ न कर सके ।
मै अपने भाइयों कि कसम खा के कहता हूं 
तुम्हारा अंत बिल्कुल निकट है ,
मुझे ये भी मालूम है कि तुम अपने बचने के बहुत सारे उपाय भी करोगे मगर याद रखना बच नहीं सकोगे ।
शहर का चप्पा चप्पा मैंने लॉक करवा दिया है मिस्टर आरके सिंह
तुम यूं ही नादान बच्चे की तरह ख्वाबों में उड़ रहे हो ।
अब इस वक्त कानून और कानून की वर्दी पहनने वाले वो सब सिपाही मेरी जेब में है मिस्टर रॉकी ।
देखो तुम्हारे महल के पीछे वाले दरवाजे में बंदूक की नोक दिख रही है ।
न न न न अभी नहीं 
अभी नहीं मारूंगा तुम्हे
अभी तो तुम्हे बताने आया था 
वैसे भी तुम बहुत चालाक बनते हो मिस्टर आरके ।
आरके - मुझे विश्वाश नहीं हो रहा 
ये क्या मजाक कर रहे हो तुम राणा ।
अगर तुम मुझे चेतावनी देने  आए थे तो फिर ये कानून के सिपाही लेकर क्यों आए हो ।
ये कहां का इंसाफ है ।
चेतावनी देने वाला व्यक्ति पहले अकेले आता है ।

आनंद सिंह राणा - वाह आरके वाह !
भाषण अच्छा दे लेते हो 
मतलब मै जो कुछ करूं तो तुम्हारे हिसाब से करूं 
मै चेतावनी देने अकेले आऊं वो भी तेरे घर ! जिससे कि तू मुझे भी मौत के घाट उतार सके ।
वाह बहुत खूब !
मुझे तो हंसी आ गई रे तेरे ऊपर ।
क्या बच्चों जैसी बात कर रहा है ।
लगता है बंदूक देख के सेठेया गया तू आरके ।
अब तेरे पास दम नहीं बची ।
तू कैसे सम्हालेगा परिवार अपना 
जब तू खुद ही इतना डर रहा है आरके ।
आरके - आरके ने नौकर को आवाज़ लगाई -
भोला जरा मंत्री जी को फोन मिला ओ ।
आनंद सिंह राणा - मिला लो -  मिला लो  ,  सबको मिला लो 
देखता हूं आज कौन मंत्री तुम्हारे डेरे में आता है ।
सारा डेरा तो इस मुल्क के सिपाहियों के कब्जे में है आरके ।
करलो तुम्हे पन्द्रह मिनट का मौका और देता हूं  क्योंकि समय समाप्त होने वाला है ।
 ये मानो कि तुम्हारी जिंदगी सिर्फ अब पन्द्रह मिनट कि बची है  ।
इसमें चाहे अपनी हिफाजत कर लो या अपने सगे संबंधियों की ।
कुल मिलाकर तुम्हारा विनाश निश्चित है ।
देखो चारो तरफ सिपाही खड़े है 
कहा था न मैंने कानून को अपने जेब में डाल रक्खा है ।
क्योंकि ईंट का जवाब मै पत्थर से देना जानता हूं मिस्टर आरके ।
असत्य आखिर कब तक और किसके बल पर टिकेगा आरके सिंह ।मिस्टर आरके सिंह - उपन्यास का आखरी भाग -

तुम अपने बच्चो को पुलिस में भर्ती करवा देना फिर मेरी पिटाई करवाना ।
 और मुझसे मेरी मत पूछो ? 
"मै जब चाहूंगा तभी तोड़ दूंगा तुम्हे ।"
मेरा नाम है "आनंद सिंह राणा"
तुम्हारे जैसे कानून को जेब में डाल के घूमता हूं ।
जितने तुम्हारे रिश्तेदार हो मिलने वाले दोस्त यार हो सबको बुला लेना 
मेरे बार बनवा लेना ।
मै अकेला ही तुम्हारे खानदान की धज्जियां उड़ा ने में सक्षम हूं ।

और सुनो तुम आज से कल तक 
कल तक का मतलब है जिंदगी भर के लिए चुनौती देता हूं जो उखाड़ना हो उखाड़ लेना ।
मेरा नाम तो जानते ही हो - आनंद सिंह राणा है ।
मैंने किताबों में पढ़ा था  - अपराधी बनते नहीं है बनाए जाते है ।
लो आज देख भी लिया , मुझे मजबूरन तुम जैसे दुष्ट लोगों के खिलाफ हाथ उठाना पड़ रहा है 
क्योंकि मैं कानून के सहारे नहीं बैठ सकता , दस बीस साल तक इंसाफ होने में उसकी राह नहीं तक सकता ।
अब मै स्वयं ही इंसाफ करूंगा ।
मेरे भाइयों के कातिलों का मै सर्वनाश कर दूंगा ।
ये तुम्हे चेतावनी देने आया हूं मिस्टर आरके सिंह ।
तुमने अभी वो नजारा नहीं देखा 
जिसे आंखों देखी कतल कहते है 
उसे देखने में कुछ वक़्त लग सकता है मगर जो देखने को तुम्हारी आंखें तरस रही हैं वो तुम्हे देखने को अवश्य मिलेगा ।
अभी जिसके जिसके दूध के दांत उखड़ने बाकी है वो आज से "आनंद सिंह राणा" का इंतजार करना शुरू करे ।
दूध के दांत गिरेंगे  और छठी के चावल याद आ जाएंगे ।
तुम्हारे दिन ऐसे बहुरेंगे रॉकी, कि तुम्हारी  लाश को कुत्ते ही खा जाएंगे ।। 

आज से तुम अपनी जिंदगी बचाने का इंतजाम करो 
नहीं तो  मै तुम्हे जहन्नुम के दरवाजे में भेज दूंगा ।

रॉकी सिंह - तुम अभी अपने खाने पीने का इंतजाम करो राणा ।
घर में बच्चे भूख से बिलबिला रहे होगें ।
और ये कहावत तो सुनी ही होगी तुमने कि जो लोग ज्यादा बकबक करते है वो तो वैसे भी कुछ नहीं कर पाते । 
मुझे ज्यादा बोलने का शौक नहीं है ।
मुझे जो करना है वो मै करूंगा 
तुम अपना परिवार बचा सको तो बचा लेना राणा ।

आनंद सिंह राणा - मिस्टर अब तुम अपनी ओर अपने बीबी बच्चो की फिकर करो ।
मै तो तुम्हे बस इतना ही बताने आया था ।
बाकी का नजारा तुम खुद देखोगे ।
वो आदमी भी क्या जो सरेआम बेज्जत होता रहे और कुछ न कर सके ।
मै अपने भाइयों कि कसम खा के कहता हूं 
तुम्हारा अंत बिल्कुल निकट है ,
मुझे ये भी मालूम है कि तुम अपने बचने के बहुत सारे उपाय भी करोगे मगर याद रखना बच नहीं सकोगे ।
शहर का चप्पा चप्पा मैंने लॉक करवा दिया है मिस्टर आरके सिंह
तुम यूं ही नादान बच्चे की तरह ख्वाबों में उड़ रहे हो ।
अब इस वक्त कानून और कानून की वर्दी पहनने वाले वो सब सिपाही मेरी जेब में है मिस्टर रॉकी ।
देखो तुम्हारे महल के पीछे वाले दरवाजे में बंदूक की नोक दिख रही है ।
न न न न अभी नहीं 
अभी नहीं मारूंगा तुम्हे
अभी तो तुम्हे बताने आया था 
वैसे भी तुम बहुत चालाक बनते हो मिस्टर आरके ।
आरके - मुझे विश्वाश नहीं हो रहा 
ये क्या मजाक कर रहे हो तुम राणा ।
अगर तुम मुझे चेतावनी देने  आए थे तो फिर ये कानून के सिपाही लेकर क्यों आए हो ।
ये कहां का इंसाफ है ।
चेतावनी देने वाला व्यक्ति पहले अकेले आता है ।

आनंद सिंह राणा - वाह आरके वाह !
भाषण अच्छा दे लेते हो 
मतलब मै जो कुछ करूं तो तुम्हारे हिसाब से करूं 
मै चेतावनी देने अकेले आऊं वो भी तेरे घर ! जिससे कि तू मुझे भी मौत के घाट उतार सके ।
वाह बहुत खूब !
मुझे तो हंसी आ गई रे तेरे ऊपर ।
क्या बच्चों जैसी बात कर रहा है ।
लगता है बंदूक देख के सेठेया गया तू आरके ।
अब तेरे पास दम नहीं बची ।
तू कैसे सम्हालेगा परिवार अपना 
जब तू खुद ही इतना डर रहा है आरके ।
आरके - आरके ने नौकर को आवाज़ लगाई -
भोला जरा मंत्री जी को फोन मिला ओ ।
आनंद सिंह राणा - मिला लो -  मिला लो  ,  सबको मिला लो 
देखता हूं आज कौन मंत्री तुम्हारे डेरे में आता है ।
सारा डेरा तो इस मुल्क के सिपाहियों के कब्जे में है आरके ।
करलो तुम्हे पन्द्रह मिनट का मौका और देता हूं  क्योंकि समय समाप्त होने वाला है ।
 ये मानो कि तुम्हारी जिंदगी सिर्फ अब पन्द्रह मिनट कि बची है  ।
इसमें चाहे अपनी हिफाजत कर लो या अपने सगे संबंधियों की ।
कुल मिलाकर तुम्हारा विनाश निश्चित है ।
देखो चारो तरफ सिपाही खड़े है 
कहा था न मैंने कानून को अपने जेब में डाल रक्खा है ।
क्योंकि ईंट का जवाब मै पत्थर से देना जानता हूं मिस्टर आरके ।
असत्य आखिर कब तक और किसके बल पर टिकेगा आरके सिंह ।

उपन्यासकार - कवि जीतेन्द्र कानपुरी ( टैटू वाले)

(विशेष सूचना - उपन्यास में लिखे हुए सभी पात्रों के नाम एवं कहानी काल्पनिक है इस कहानी का किसी के निजी जीवन से कोई संबंध नहीं है )

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