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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

ग़ज़ल -मुहब्बत की पहचान है आज जनचेतना से -विकास भारद्वाज "अक्स बदायूँनी"


मुहब्बत  की  पहचान  है  आज  जनचेतना से  ।
ये  साहित्य  की  जान  है  आज  जनचेतना से ।।

नई आशा की इक किरण को जगाना है हमको,
हमारी तुम्हारी  बनी शान है आज जनचेतना से ।।

यूँ  नित रोज लेखन को हमने बढाया तभी तो ।
ये  अनमोल  वरदान  है  आज  जनचेतना से ।।

यूँ तो लफ्जों में दिल के एहसास हमने लिखे हैं,
मिला  हमको  सम्मान  है  आज  जनचेतना से ।।

नवाँकुर कलमकारों अब तुम जरा आगे आओ ।
मंजिल पाना  आसान  है  आज  जनचेतना से ।।

©विकास भारद्वाज "अक्स बदायूँनी"
    29  नवम्बर  2019



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