ग़ज़ल 1
दिल जले मेरा धुआँ हो ये जरूरी तो नहीं
दर्द भी सबको अयाँ हो ये जरूरी तो नहीं
हर सितम सह के भी चुपचाप रहें हम यारा
जुल्म का किस्सा बयाँ हो ये जरूरी तो नहीं
हर शजर को बचा लो आज तो कटने से तुम
बेजुबानों को जुवाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
मौसमे इश्क बदलता तो है हर पल देखो
मेरे हिस्से में खिज़ाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
रात रंगीन है अरमान भी तो हैं लाखों
दिल तो उनका भी जवाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
जिंदगी मत बिता देना तू खुराफातों में
मिलती खैरात वहाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
रब के हर फैसले पर सर को झुकाया मीना
सुनता मेरी वो यहाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
मीना भट्ट
ग़ज़ल 2
प्यार के फेल सारे गुमाँ हो गये
और भी फासले दरमियाँ हो गये
कुछ दिनों की है ये ज़िंदगानी सनम
जब सिकंदर के जैसे धुआँ हो गये
बोलने पर लगी इस क़दर बंदिशें
अब ज़ुबाँ वाले भी बेजुबाँ हो गये
आरजू इस फ़लक की हमें हैं कहाँ
इस ज़मीं पर तो हम कहकशाँ हो गये
आ गयी ज़िदगी की लगे शाम अब
हम जुदा होके भी कामराँ हो गये
हौसला चाहतों से हमें है मिला
फ़िक्रो ग़म अपने सारे धुआँ हो गये
ख़्वाब बेसुध पडे थे हमारे मगर
साथ मिलते ही सारे जवाँ हो गये
मीना भट्ट
दिल जले मेरा धुआँ हो ये जरूरी तो नहीं
दर्द भी सबको अयाँ हो ये जरूरी तो नहीं
हर सितम सह के भी चुपचाप रहें हम यारा
जुल्म का किस्सा बयाँ हो ये जरूरी तो नहीं
हर शजर को बचा लो आज तो कटने से तुम
बेजुबानों को जुवाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
मौसमे इश्क बदलता तो है हर पल देखो
मेरे हिस्से में खिज़ाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
रात रंगीन है अरमान भी तो हैं लाखों
दिल तो उनका भी जवाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
जिंदगी मत बिता देना तू खुराफातों में
मिलती खैरात वहाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
रब के हर फैसले पर सर को झुकाया मीना
सुनता मेरी वो यहाँ हो ये जरूरी तो नह़ीं
मीना भट्ट
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मीना भट्ट |
प्यार के फेल सारे गुमाँ हो गये
और भी फासले दरमियाँ हो गये
कुछ दिनों की है ये ज़िंदगानी सनम
जब सिकंदर के जैसे धुआँ हो गये
बोलने पर लगी इस क़दर बंदिशें
अब ज़ुबाँ वाले भी बेजुबाँ हो गये
आरजू इस फ़लक की हमें हैं कहाँ
इस ज़मीं पर तो हम कहकशाँ हो गये
आ गयी ज़िदगी की लगे शाम अब
हम जुदा होके भी कामराँ हो गये
हौसला चाहतों से हमें है मिला
फ़िक्रो ग़म अपने सारे धुआँ हो गये
ख़्वाब बेसुध पडे थे हमारे मगर
साथ मिलते ही सारे जवाँ हो गये
मीना भट्ट
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