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रविवार, 28 जून 2020

फिल्म - बुलबुल दो शब्द

फ़िल्म का नाम है bulbhul(बुलबुल)। इसे देखकर अगर मैं दो शब्दों की इसकी व्याख्या करूँ तो मैं इसे "हृदय विदारक" कहूंगी ।
एक बंगाली बच्ची जो बड़ी बहू बनकर ठाकुरों की हवेली में आती है और इस कदर दर्द भरा जीवन जीती है जिसे देखकर "मैली इच्छाएं" कहानी की याद आ गयी ।
एक वयस्क कहानी जो मैंने कुछ महीनों पहले लिखी और किंडल में डाली थी ।
उसकी राजकिशोरी और इसकी बुलबुल एक जैसे ही तो हैं ।
बुलबुल के चेहरे पर सदा मुस्कान चिपकी रहती है और आँखो में दिखता है मुस्कान के पीछे छिपा अथाह दर्द जिसे सत्या( नायक) बुलबुल का देवर , समझ ही नहीं पाता ।
इसमे एक दूसरी बच्ची अपने बाप की मौत पर कहती है " काली मां ने मारा है " ।
चुड़ैल ने नहीं ।
दिल को झझकोर देने वाला कथन था ।
चांद का लाल होना कहानी की जान है और फ़िल्म में नायिका का किरदार 100 में से 101 का हकदार है । वैसे मुझे उसमे(नायिका में ) श्रद्धा कपूर की छवि लगी ।
बड़ी हवेली के बड़े राज दफन रखने वाली कहानी है । देखना न देखना आपकी इच्छा है । ❤️❤️❤️

सुरभी सहगल 

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