मान्यवर मित्रों , 04.06.2020
दिल पर मत लेना ...
हर कोई यहां अकेला .....
जीवन हर किसी को प्यारा
बचपन सबका राज दुलारा
अपराध जीवन में एक बार
एक को दूसरे से प्यार
सामाजिक ज़िम्मेवारिंयों का पहाड़
सारी उम्र फिर धोबी पछाड़
किलकारियां की चौतर्फा बहार
हर समय गले का हार
उम्र संग कई मेले
ज़िन्दगी में कुछ झमेले
सोच बराबर बदलती जाये
कुछ चीजे संभलती जाये
फिर सब छूट जाये
खाली हाथ रह जाये
यही चक्र हैं अलबेला
हर कोई यहां अकेला
आपका अपना
वीरेन्द्र कौशल
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