हाइकू- पानी
यूँ व्यर्थ न बहाओं
मूल आधार
रोग फैलते जब
सचेत रहो
बूँद बन बरसे
सावन भादों
नदी में जल बहें
पहाडों बीच
तिरक्षी तेज बूदें
बहार छाई
9627193400 24/04/2017
पेडों को खूब लगाओ
भूमि से सोना उगाओ
पर्यावरण स्वच्छ हो
बीमारी से मुफ्त तन ।
नदी में दवा न छोडों
पेडों का दोहन रोकों
धरा पर फूल खिलें
शुद्ध हो मानव मन ।।
मलबा डालों खेतों में
कूडा न फेंक नालों में
दूषित जल से रोग
जल सदुपयोग कर ।
जीवन है जीना होगा
वन को बचाना होगा
जागरुक बन अब
प्रकृति की रक्षा कर ।।
विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400 21/04/2017
विधा- निबन्ध
गंगा नदी भारत की प्राचीन नदियों में से एक है और इसका अपना एक इतिहास है ।
यह नदी सब भारतीयों की एक आस्था का भी प्रतीक माना जाता है इससे हमारी पहचान है
इसलिए यह सिर्फ एक नदी नहीं है।
यह नदी हिमालय की गोद से निकल कर मैदानी इलाको में आती है।
इन नदियों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि इन नदियों से ही भूमि उपजाऊ बनती है। इसके इलावा इन नदियों के पानी से हमारी दिनचर्या भी पूरी होती है जैसे की पीने के लिए,नहाने के लिए, पेड़-पौधों के लिए,जीव-जंतुओं के लिए आदि ।
अब ये नदी प्रदूषित हो गई है । आज के समय में गंगा को मैली करने में हम सब का बहुत योगदान है। बच्चे के मुंडन से ले के की राख को इस गंगा नदी में बहाया जाता है।
तथा घर में होने वाले धार्मिक कार्यो की चीजे गंगा माँ की गोद में डाल देते है इसके इलावा शहर का सारा गंद और कारखानो से निकलने वाले जहरीले पदार्थ और रसायन भी इस नदी में बहा दिए जाते है। अब इस गंगा नदी का पानी पिने लायक भी नहीं रहा है ।
सरकार और कई संस्थाये इसे साफ़ करने के कई उपाय निकाल रही है और तो और हर साल इसे साफ़ करने के लिए करोडों पैसे खर्च किये जाते है परन्तु इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा और अगर इस नदी का यही हाल रहा तो एक दिन ये नदी का पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो जयेग।
हम सबको प्रण लेना चाहिए की हम इसे साफ़ रखने में अपना पूरा योगदान दे।
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400 10/04/2017
जीवन भर लक्ष्य चुनौती रहता है
जीवन दुखमय गागर मे रहता है
मंजिल मिल जाये संघर्ष करने से
जीवन सुखमय सागर में बहता है
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400 1 मार्च 2017
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