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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

6:12 am

सरस्वती वन्दना :- शब्द के कुछ सुमन है समर्पित तुम्हे


शब्द के कुछ सुमन है समर्पित तुम्हे,
बस चरण में इन्हें अब शरण चाहिए ।
कण्ठ से फूट जाये मधुर रागनी,
गीत- गंगा में गोते लगता रहूँ।
स्वर लहर में रहे भीगते तेरे तन वदन,
शारदा मां भजन में लगन चाहिए ।
मिट सके तम के साये प्रखर ज्योति दो,
हंस वाहिनी शुभे शत् शत् नमन।
मां मेरी तुम से है यही  प्रार्थना कि
ध्यान में डूबकर गीत तेरे मैं गाता रहूं।
साधना की डगर हो सुगम मां यहां
तम विमल मन मगन गुनगुनाता रहूँ।
कल्पना के क्षितिज में नये बिम्ब हो,
चित्र जिनसे नये नित सजाता रहूँ।
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कालिका प्रसाद सेमवाल

रविवार, 12 अप्रैल 2020

10:33 am

माँ सरस्वती के सादर चरणों में :- सुख-समृद्धि-सुसंस्कृति भरकर - सुमित शर्मा


सुख-समृद्धि-सुसंस्कृति भरकर
तुम      पूरन      कर        दो।
हे   ज्ञानदायिनी,  वीणावादिनी
मंगल      मन       कर      दो।

हम  खाली  है  अंतस्   खाली,
ज्ञान   की  ज्योत   जला   दो।
मन  निर्मल,  मस्तिष्क  शुचित 
कर,  ज्ञान  का  नीर  बहा  दो।

मार्ग विमल कर,विद्या-विभा दो,
पथ       रोशन      कर      दो।
हे ज्ञानदायिनी,     वीणावादिनी
मंगल      मन       कर       दो।

नेह  के  पुष्प  खिला  दो   माते,
स्नेहासव      से      भर      दो।
नीरसता   जीवन   में  न जकड़े,
अब   ऐसा    कुछ    कर    दो।

वीणा   की   झंकार   से   मैया,
मस्त      मगन      कर      दो।
हे ज्ञानदायिनी,    वीणावादिनी,
मंगल      मन       कर      दो।

~पं० सुमित शर्मा 'पीयूष'
अध्यक्ष : ज. सा. सा. समिति (बिहार)
संपर्क : 7992272251

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

1:10 am

माँ तेरी ममता छाया को,सरस करे नित-नित वंदन ~ दिलीप कुमार पाठक "सरस"

माँ तेरी ममता छाया को,सरस करे नित-नित वंदन।
मेरी माता तुम्हें समर्पित,रोम-रोम के स्पन्दन।।
ज्ञात नहीं, क्या ज्ञात मुझे?सब कुछ ही आभास करातीं।
लगाके छाती,ढाँक के आँचल,थपकी देके सदा सुलातीं।।
तुम न सुनोगी,कौन सुनेगा?इस जग में मेरा क्रन्दन।।
माँ तेरी ममता--------------
सदा-सदा से ही मैंने,ममता छाया सुख पाया।
कभी न रोना लाल मेरे,आशीष सदा तुमसे पाया।।
तेरी शीतल गोद में बैठूँ,बनूँ सभी का अभिनंदन।
माँ तेरी ममता-------------
बालक की बस एक खुशी,सर्वस्व सदा न्यौछावर करतीं।
शिशु के हित सब सह लेतीं,रंचमात्र न उफ्फ करतीं।।
अपनी माँ को गोद उठाऊँ, बिठाऊँ,निज हृदय के स्यन्दन।।
माँ तेरी ममता------------
मुझ अबोध को बोध तुम्हारा,स्नेहिल शोध कराता है।
वात्सल्य भरा हर रोष तुम्हारा,ममता कोष लुटाता है।।
बँधा हुआ है माता तुमसे,तेरे इस नंदन का बंधन।।
माँ तेरी ममता छाया को,सरस करे नित-नित वंदन।।

दिलीप कुमार पाठक "सरस"

12:50 am

वंदना के स्वर ; ~ रात-दिवस और प्रातः शाम ~ दिलीप कुमार पाठक "सरस"

वंदना के स्वर
रात-दिवस और प्रातः शाम|
तेरी वंदना आठों याम||
ज्ञानदायिनी मेरी माता|
मेरी तुम हो भाग्यविधाता||
तुमसे जीवन-रस पाता|
नतमस्तक हो तुमको ध्याता||
तेरी कृपा से माता मैं तो|
चलता दुर्गम पथ अविराम|
तेरी वंदना------
मेरा जीवन सार तुम्हीं हो|
सांँसों का अधिकार तुम्हें हो||
ज्ञानदीप आधार तुम्हीं हो|
चँहूओर जयकार तुम्हीं हो||
वंदनवार सजाये बैठे|
मनमंदिर मम अक्षरधाम||
तेरी वंदना ------
दिलीप कुमार पाठक "सरस"

12:20 am

वाणी वंदना ~ नेह की गंध लुटायें ~ दिलीप कुमार पाठक

वाणी वंदना

नेह की गंध लुटायें।
हवायें चलती जायें।।
माँ वाणी के गीतों को।
तुम गाओ हम गायें।।
हवायें------------
कर दें सब कुछ अर्पण।
मनभावन मन- दर्पण।।
मातु शारदे का सुंदर ।
आओ एक चित्र सजायें।।
हवायें------------
तू मेरी भाग्यविधात्री।
आयी पावन नवरात्री।।
तेरी साधना रोज करूँ।
तेरे दर पर दीप जलायें।।
हवायें----------
छंदोमयी है तेरी वाणी।
एक तू ही जगकल्याणी।।
भाव मेरे तू छंद बना दे।
तेरी हम महिमा गायें।।
हवायें चलती जायें।।
नेह की गंध लुटायें।।

दिलीप कुमार पाठक "सरस"

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