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बुधवार, 16 सितंबर 2020

2:42 am

लुग़ात-ए-फ़िक्री: वो अनूठा ‘शब्दकोश’ जो लफ़्ज़ों का कुछ अलग ही अर्थ बताता है

फ़िक्र नामा, fikr nama, फ़िक्र तोनस्वी, fikr taunsvi


फ़िक्र तोनस्वी, जिनका अस्ल नाम राम लाल भाटिया था, उर्दू के विख्यात हास्य और व्यंग्य लेखक थे। 12 सितंबर 1987 को उनका निधन हुआ। फ़िक्र अपनी दीगर मज़ाहिया तहरीरों के साथ अपने अख़बारी कॉलम ‘प्याज़ के छिलके’ और विभाजन के समय के क़तल-ओ-ख़ून की रूदाद पर मुश्तमिल किताब ‘छटा दरिया’ के लिए जाने जाते हैं।

नीचे पेश की गई तहरीर फ़िक्र तोनस्वी की किताब ‘फ़िक्र-नामा’ से ली गई है। आप इसे पढ़ें, लुत्फ़-अंदोज़ हों, कुछ सीख हासिल करें और अगर किसी शब्द के बारे में आपका कोई ज़ाती ख़्याल हो तो कमेंट बॉक्स में लिख कर हमारे साथ साझा करें।

लुग़ात-ए-फ़िक्री

इलेक्शन: एक दंगल जो वोटरों और लीडरों के दरमियान होता है और जिसमें लीडर जीत जाते हैं, वोटर हार जाते हैं।

वोट: चियूंटी के पर, जो बरसात के मौसम में निकल आते हैं।

वोटर: आँख से गिर कर मिट्टी में रुला हुआ आँसू जिसे इलेक्शन के दौरान मोती समझ कर उठा लिया जाता है और इलेक्शन के बाद फिर मिट्टी में मिला दिया जाता है।

वोटर लिस्ट: जौहरी की दुकान पर लटकी हुई मोतियों की लड़ियाँ।

उम्मीदवार: बड़े-बड़े अक़लमंदों को भी बेवक़ूफ़ बनाने वाला अक़लमंद।

चुनावी  सभा: एक तम्बूरा जिस पर बेसुरे गाने गाये जाते हैं।

चुनावी घोषणापत्र: जिसमें बाद में तोड़ने के लिए वादे किए जाते हैं।

चुनावी भाषण: इलेक्शन के जंगल में गीडड़ों का नग़मा कि ‘मेरा बाप बादशाह था।’

चुनावी झण्डे: रंगा-रंग पतंगों की दुकान।

चुनावी पोस्टर: उम्मीदवार का शजरा-ए-नसब। उसके ख़ानदान की मुकम्मल तारीख़।

पोलिंग एजेंट: उम्मीदवार का चमचा।

इलेक्शन का ख़र्चा: जूए पर लगाई हुई नक़दी।

Fikr Taunsvi, Ram Lal Bhatia
फ़िक्र तोनस्वी, जिनका अस्ल नाम राम लाल भाटिया था, उर्दू के विख्यात हास्य और व्यंग्य लेखक थे।

महबूबा: एक क़िस्म की गै़र-क़ानूनी बीवी।

बीवी: महबूबा का अंजाम।

इश्क़: ख़ुदकुशी करने से पहले की हालत।

रिश्तेदार: एक रस्सी जो टूट कर भी सिर पर लटकती रहती है।

दिल्ली: जहाँ मकान बड़े हैं इन्सान छोटे।

बंबई: एक मंदिर जहाँ से भगवान निकल गया है।

साईकिल: क्लर्क बाबू की दूसरी बीवी।

क्लर्क: एक गीदड़ जो शेर का जामा पहन कर कुर्सी पर बैठता है।

बूढ़े: दीवालिया दुकान के बाहर लटका हुआ पुराना साइनबोर्ड।

अवाम: चौपाल पर रखा हुआ एक हुक़्क़ा जिसे हर राहगीर आकर पीता है।

बीवी: महबूबा की बिगड़ी हुई शक्ल।

ख़ुदा: वहम और हक़ीक़त के दरमियान डोलता हुआ पेन्डुलम।

बेरोज़गारी: इज़्ज़त हासिल करने से पहले बेइज़्ज़ती का तजुर्बा।

क्रप्शन: एक ज़हर जिसे शहद की तरह मज़े ले-ले कर चाटा जाता है।

सियासत: पैसे वालों की अय्याशी और बिन पैसे वालों के गले का ढोल।

बीवी: एक लतीफ़ा जो बार-बार दोहराने से बासी हो जाता है।

सच्चाई: एक चोर जो डर के मारे बाहर नहीं निकलता।

झूट: एक फल जो देखने में हसीन है। खाने में लज़ीज़ है। लेकिन जिसे हज़म करना मुश्किल है।

लोकतंत्र: एक मंदिर जहां भगत लोग चढ़ावा चढ़ाते हैं और पुजारी खा जाते हैं।

सूद: दूसरों का भला करने के लिए एक बुराई।

ग़रीबी: एक कश्कोल जिसमें अमीर लोग पैसे फेंक कर अपने गुनाहों की तादाद कम करते हैं।

शायर: एक परिंदा जो उम्र-भर अपना गुम-शुदा (खोया हुआ) आशियाना ढूंढता रहता है।

लीडर: दूसरों के खेत में अपना बीज डाल कर फ़सल उगाने और बेच खाने वाला।

क़ब्रिस्तान: मुर्दा इन्सानों का हाल ) वर्तमान(, ज़िंदा इन्सानों का मुस्तक़बिल (भविष्य)।

उम्मीद: एक फूल जो कभी बंजर ज़मीन को ज़रख़ेज़ बना देता है और कभी ज़रख़ेज़ ज़मीन को बंजर।

ये तहरीर फ़िक्र तोनस्वी की किताब ‘फ़िक्र-नामा’ से ली गई है।

ख़ुशामद: कमज़ोर की ताक़त और ताक़तवर की कमज़ोरी।

शराफ़त: एक ऐनक जिसे अंधे लगाते हैं।

तालीम: अनपढ़ लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने का हथियार।

बहादुर: आग को पानी समझ कर पी जाने वाला कम-इल्म।

अंधेरा: शैतान का घर जिसे ख़ुदा अपने हाथ से तामीर करता है।

रसोई घर: गृहस्ती औरतों की राजधानी।

गृहस्ती औरत: गृहस्ती मर्द की गाड़ी का पैट्रोल पंप।

महल: झोंपड़ी के मुक़ाबले पर खींची हुई बड़ी लकीर।

छात्र: एक प्यासा जिसे समुंद्र में धक्का दे दिया जाता है और वो उम्र-भर डुबकियाँ खाता रहता है।

जेब-कतरा: एक शरारती छोकरा जो दूसरों की साईकिल में पिन चुभोकर उस की हवा निकाल देता है और भाग जाता है।

सड़क: एक रास्ता जो जन्नत को भी जाता है और जहन्नुम को भी।

जन्नत: एक ख़्वाब।

जहन्नुम: इस ख़्वाब की ताबीर।

पैसा: एक छिपकली जो इन्सान के मुँह में आ गई है। और अब उसे खाए तो कोढ़ी, छोड़े तो कलंकी।

दरिया: जिसके किनारे घर बनाओ तो उसे जोश आ जाता है और घर को बहा ले जाता है। लेकिन अगर इसमें डूबने के लिए जाओ तो हमेशा सूखा मिलता है।

ख़ुदकुशी: जायज़ चीज़ का नाजायज़ इस्तिमाल।

कुर्सी: जिस पर बैठ कर अक़लमंद आदमी बेवक़ूफ़ बन जाता है।

नेकी: जिसे पहले ज़माने में लोग दरिया में डाल देते थे। आजकल मंडी में बराए फ़रोख़्त (बेचने के लिए) भेज देते हैं।

अख़बार: एक फल जो सुकून के लिए खाया जाता है। मगर खाते ही बेचैनी पैदा कर देता है।

मय-गुसार (शराबी): रात का शहंशाह, सुबह का फ़क़ीर।

तवाइफ़: डिस्पोज़ल का माल जिसे औने-पौने दाम पर नीलाम कर के बेच दिया जाता है।

ख़ुदा: इन्सान की वो कमज़ोरी जिससे वो ताक़त हासिल करता है।

मेहमान: जिसके आने पर ख़ुशी और जाने पर और ज़्यादा ख़ुशी होती है।

ड़ॉक्टर: जो बीमारों से हंस-हंस कर बातें करता है मगर तंदरुस्तों को देखकर मुँह फेर लेता है।

जज: इन्साफ़ करने में आज़ाद मगर क़ानून का ग़ुलाम।

गवाह: झूट और सच्च के दरमियान लटकता हुआ पेन्डुलम।

कोशिश: अंधेरे में तीर चलाना। लग जाये तो वाह वाह, चूक जाये तो आह आह।

अंधेरा: बिजली कंपनी का सिर दर्द।

बिजली: चोरों का सिर दर्द।

चोर: एक जेब का माल दूसरी जेब में मुंतक़िल करने वाला आर्टिस्ट।

अंजान: जो वो चीज़ें ना जानता हो, जिन्हें जानने से दुख पैदा होते हैं।

उस्ताद: बेवक़ूफ़ों को अक़लमंद बनाकर अपने दुश्मन बनाने वाला बेवक़ूफ़।

कूड़ा कर्कट: इस्तेमाल शूदा चीज़ों का जनाज़ा।

कमज़ोरी: एक मुर्दा जिस पर ज़िंदा लोग हमला कर देते हैं और बड़े ख़ुश होते हैं।

क़त्ल: आँखों वालों की अंधी हरकत।

मकान: चिड़ियों, मक्खियों और इन्सानों का मुश्तर्का (साझा) रैन-बसेरा।

मुफ़्लिस: जो अगर मौजूद ना हो तो अहल-ए-दौलत ख़ुदकुशी कर लें।

लफ़्ज़: जो मुँह से अदा हो जाए तो बाहर जंग छिड़ जाये, अदा ना हो सके तो अंदर जंग छिड़ जाये।

मरीज़: जिसके बलबूते पर दुनिया-भर की मेडिकल कंपनियाँ चलती हैं।

क़ब्रिस्तान: लाशों का सोशलिस्ट स्टेट।

बदसूरत औरत: हसीनाओं को परखने का आला।

आदम: ख़ुदा की वो ग़लती जिसे वो आज तक ठीक नहीं कर सका।

ग़लती: माफ़ कर देने वालों के लिए एक नादिर (दुर्लभ) मौक़ा।

सरमाया-दार (पूंजीवादी): दूसरों की कतरनों से अपने लिए पतलून तैयार करने वाला एक माहिर टेलर मास्टर।

अमन: वह्शी लोगों की नींद का ज़माना।

बकरी: जिसकी अक़्ल ज़्यादा है दूध कम।

नंगा: टेक्सटाइल मिलों का मज़ाक़ उड़ाने वाला।

मक़रूज़: एक शहंशाह जो दूसरों की कमाई पर ऐश करता है।

हुकूमत: काँटों का ताज जिसे हर गंजा पहनना चाहता है।

अक़्ल: मुहब्बत और ख़ुलूस का क़ब्रिस्तान।

बेवक़ूफ़ी: एक ख़ज़ाना जो कभी ख़ाली नहीं होता।

विवाह: इश्क़ का अंजाम, बच्चों का आग़ाज़।

दिल: एक क़ब्र जिसके नीचे अक्सर ज़िंदा मुर्दे दफ़न कर दिए जाते हैं।

दिमाग़: शैतान और ख़ुदा दोनों का मुश्तरका (साझे का) घर।

पाँव: जो दूसरों को ठोकर मारता है, ख़ुद ठोकर खाता है।

काग़ज़: कोरा हो तो बे-ज़रर, लिखा जाये तो ज़रर-रसाँ।

ख़ुश-क़िस्मत: एक लाठी जो जिसके हाथ लग जाये उसी की हो जाती है।

विदेशी क़र्ज़: एक डायन जो बच्चे पैदा करती है, उन्हें खिलाती और पालती-पोस्ती है। और फिर ख़ुद ही उन्हें खा जाती है।

हिल स्टेशन: सेहत-मंद मरीज़ों का अस्पताल।

सोमवार, 24 अगस्त 2020

6:39 pm

पाखी पब्लिशिंग हाउस' द्वारा पुस्तकाकार लाया जाएगा

 सूचनार्थ : 

#देश_विशेषांक एवं #पुरस्कार_योजना


'पाखी' का दिसम्बर अंक 2020 'देश' नामक संस्था को केंद्र बिंदु बनाते हुए लिखी गई नई कहानियों, कविताओं, गीत, ग़ज़ल , निबंध, लेख आदि पर केंद्रित विशेषांक होगा। सभी नवोदित एवं वरिष्ठ रचनाकारों से आग्रह है कि मौजू समय में सर्वाधिक ज्वलंत हो उठे विषय 'देश विशेष' पर अपनी रचनाएं भेजें।


इस अंक में प्रकाशित सभी सामग्री को 'पाखी पब्लिशिंग हाउस' द्वारा पुस्तकाकार लाया जाएगा तथा सर्वश्रेष्ठ तीन रचनाओं पर क्रमशः प्रथम पुरस्कार 21 हजार, द्वितीय  11 हजार एवं तृतीय 5 हजार रुपये सम्मान धनराशि होगी। साथ ही नए लेखकों के लिए यानी ऐसे लेखक जिनकी बीज रचना होगी, दो सांत्वना पुरस्कार 2100 रुपयों की धनराशि के होंगे।


रचनाएं भेजें - pakhimagazine@gmail.com

संपादक के नाम चिट्ठी लिखें - editor@pakhi.in

संपर्क हेतु: 

फोन : 0120- 4692200

व्हाट्सएप - 7860920421


(पाखी के ऑफिसियल पेज से)


मंगलवार, 11 अगस्त 2020

5:33 pm

राहत इंदौरी सहाब आपने ही कहा था। बुलाती है मगर जाने का नही औऱ खुद चल दिये..

शायरी के एक युग का अंत हो गया 😭 भावभीनी शायरी के एक युग का अंत हो गया 😭 भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
✨स्वर्गीय राहत इंदौरी जी श्रद्धांजलि अर्पित💐💐
✨ इंदौर के रहने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार की शाम को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 70 साल के थे। सोमवार को ही उन्हें इलाज के लिए अरविंदो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राहत इंदौरी बॉलीवुड गीतकार और उर्दू भाषा के मशहूर कवि थे। वो उर्दू भाषा के पूर्व प्रोफेसर और चित्रकार भी रहे।
  ✨हम आपको बताएंगे राहत कुरैशी के राहत इंदौरी बनने और देश दुनिया में नाम कमाने की पूरी कहानी। साथ ही राहत इंदौरी के जीवन से जुड़ी हर खास जानकारी।उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था। उनका पूरा नाम राहत कुरैशी था। उनके पिता का नाम रफतुल्लाह कुरैशी और मॉ का नाम मकबूल उन निसा बेगम है। वो इनकी चौथी संतान थे। उनकी 2 बड़ी बहनें हैं जिनका नाम तकीरेब और तहज़ीब है। उनका एक बड़ा भाई है जिसका नाम एक्विल और एक छोटा भाई है जिसका नाम आदिल है। 
उनकी शिक्षा दीक्षा भी मध्य प्रदेश में ही हुई थी। ✨आरंभिक शिक्षा देवास और इंदौर के नूतन स्कूल से प्राप्त करने के बाद इंदौर विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. और उर्दू मुशायरा शीर्षक से पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। उसके बाद 16 वर्षों तक इंदौर विश्वविदायालय में उर्दू साहित्य के अध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएं दी और त्रैमासिक पत्रिका शाखें का 10 वर्षों तक संपादन किया। पिछले 40-45 वर्षों से राहत साहब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुशायरों की शान बने हुए थे।

 ✨राहत इंदौरी उर्फ राहत कुरैशी ने दो शादियां की थी। उन्होंने पहली शादी 27 मई 1986 को सीमा रहत से की। सीमा से उनको एक बेटी शिबिल और 2 बेटे जिनका नाम फैज़ल और सतलज राहत है, हुए हैं। ✨उन्होंने दूसरी शादी अंजुम रहबर से साल 1988 में की थी। अंजुम से उनको एक पुत्र हुआ, कुछ सालों के बाद इन दोनों में तलाक हो गया था।राहत इंदौरी के शायर बनने की कहानी भी दिलचस्प है।
 वो अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे। बताया जाता है कि उनकी लिखावट काफी सुंदर थी। वो अपनी लिखावट से ही किसी का भी दिल जीत लेते थे लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था। ✨एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई। बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त राहत इंदौरी ने खुद को शायर बनने की इच्छा उनके सामने जाहिर की। तब अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर वो शायरी खुद ब खुद लिखने लगेंगे।

 तब राहत इंदौरी ने जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे पहले से ही याद है। इस पर अख्तर साहब ने जवाब दिया कि फिर तो तुम पहले से ही शायर हो, देर किस बात की है स्टेज संभाला करो। उसके बाद राहत इंदौरी इंदौर के आस पास के इलाकों की महफिलों में अपनी शायरी का जलवा बिखेरने लगे। धीरे-धीरे वो एक ऐसे शायर बन गए जो अपनी बात अपने शेरों के जरिए इस कदर रखते हैं कि उन्हें नजरअंदाज करना नामुमकिन हो जाता।
 राहत इंदौरी की शायरी में जीवन के हर पहलू पर उनकी कलम का जादू देखने को मिलता था। बात चाहे दोस्ती की हो या प्रेम की या फिर रिश्तों की, राहत इंदौरी की कलम हर क्षेत्र में जमकर चलती थी।शायरी लिखने से पहले वह एक चित्रकार बनना चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने व्यावसायिक स्तर पर पेंटिंग करना भी शुरू कर दिया था। 
इस दौरान वह बॉलीवुड फिल्म के पोस्टर और बैनर को चित्रित करते थे। यही नहीं, वह पुस्तकों के कवर को डिजाइन करते थे। उनके गीतों को 11 से अधिक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल किया गया। जिसमें से मुन्ना भाई एमबीबीएस एक है। वह एक सरल और स्पष्ट भाषा में कविता लिखते थे। वह अपनी शायरी की नज़्मों को एक खास शैली में प्रस्तुत करते थे, इसलिए उनकी अलग ही पहचान थी।

 संकलनकर्ता!!!
💞साजिद इकबाल 
      राष्ट्रीय अध्यक्ष 
जी.डी फाउंडेशन लखनऊ ,भारत
7033066062

रविवार, 28 जून 2020

11:49 pm

फिल्म - बुलबुल दो शब्द

फ़िल्म का नाम है bulbhul(बुलबुल)। इसे देखकर अगर मैं दो शब्दों की इसकी व्याख्या करूँ तो मैं इसे "हृदय विदारक" कहूंगी ।
एक बंगाली बच्ची जो बड़ी बहू बनकर ठाकुरों की हवेली में आती है और इस कदर दर्द भरा जीवन जीती है जिसे देखकर "मैली इच्छाएं" कहानी की याद आ गयी ।
एक वयस्क कहानी जो मैंने कुछ महीनों पहले लिखी और किंडल में डाली थी ।
उसकी राजकिशोरी और इसकी बुलबुल एक जैसे ही तो हैं ।
बुलबुल के चेहरे पर सदा मुस्कान चिपकी रहती है और आँखो में दिखता है मुस्कान के पीछे छिपा अथाह दर्द जिसे सत्या( नायक) बुलबुल का देवर , समझ ही नहीं पाता ।
इसमे एक दूसरी बच्ची अपने बाप की मौत पर कहती है " काली मां ने मारा है " ।
चुड़ैल ने नहीं ।
दिल को झझकोर देने वाला कथन था ।
चांद का लाल होना कहानी की जान है और फ़िल्म में नायिका का किरदार 100 में से 101 का हकदार है । वैसे मुझे उसमे(नायिका में ) श्रद्धा कपूर की छवि लगी ।
बड़ी हवेली के बड़े राज दफन रखने वाली कहानी है । देखना न देखना आपकी इच्छा है । ❤️❤️❤️

सुरभी सहगल 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

10:37 am

ऑनलाइन भव्य वीडियो कवि सम्मेलन

*विशेष सूचना*

घर पर रहें_सुरक्षित रहें_कोरोना_19_जानलेवा है
ऑनलाइन भव्य वीडियो कवि सम्मेलन

दिनांक~ 10 मई 2020
विषय - मातृ दिवस
समय~ सायं 7 बजे से
स्थान~ काव्य गंगा प्रतिभा निखार मंच
संचालक~ आ. विकास भारद्वाज
सरस्वती वंदना ~
स्वागतगीत~

*ऑनलाइन भव्य वीडियो कवि सम्मेलन *

*1-वीडियो रिकार्डिंग निम्नतम समय सीमा ~5 मिनट तथा माँ पर ही काव्यपाठ की वीडियो भेजें तथा वीडियों भेजने से पहले एक बार संयोजक महोदय से जरूर सम्पर्क करें*

*2-एक फोटो, संक्षिप्त परिचय  ,वीडियो प्रतिभाग हेतु सर्वप्रथम आवश्यक |*

*3- प्रतिभागी द्वारा वीडियो 5 मई तक संयोजक महोदय को उपलब्ध कराना आवश्यक है।*
*6- प्रत्येक प्रतिभागी को तुलसी साहित्यिक संस्था बदायूँ की ओर से एक प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा|*
7-कार्यक्रम के बाद की वीडियो *काव्य गंगा यूटयूब चैनल* पर उपलब्ध रहेगी 

*🌺नि:शुल्क पंजीकरण की अंतिम तिथि ~05/05/2020*

शीघ्र सम्पर्क करें ~
आ. विकास भारद्वाज जी
कार्यक्रम संयोजक, काव्य गंगा प्रतिभा निखार मंच
  9627 193400

आ० पटबदन शंखधार जी
कार्यक्रम संचालक, काव्य गंगा प्रतिभा निखार मंच
9761 426234

आ० कामेश पाठक जी
कार्यक्रम अध्यक्ष,  काव्य गंगा प्रतिभा निखार मंच
9927 355912

आ० पवन शंखधार जी
सचिव , तुलसी साहित्यिक संस्था (बदायूँ)
9927 433400
🌺🙏🙏🙏🙏🙏🌺

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

8:03 am

परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में ऑनलाइन कवि सम्मेलन की खबर कुछ अखबार, बेब पोर्टल पर प्रकाशित

तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित
बदायूं। परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के द्वारा एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता कामेश पाठक तथा सरस्वती वंदना डॉ. प्रीती हुंकार मुरादाबाद ने की। कवि सम्मेलन का संचालन ओजस्वी कवि षटवदन शंखधार ने किया। जिसमें सभी कवियों ने वीडियो के माध्यम से काव्य पाठ देर रात किया। जिसमें कवियों ने इस प्रकार काव्य पाठ किया।
शैलेन्द्र मिश्रा देव ने कहा कि युग द्रष्टा युग स्रष्टा, परसुराम की जय, शिव के अनन्य भक्त ,को मेरा प्रणाम है। मध्य प्रदेश के सुनील नागर सरगम ने कहा कि ईश्वर ने अवतार लिया है परशुराम बन कर आये। भोले नाथ को गुरु बनाया, दिव्य शस्त्र को पाये।

बदायूँ एक्सप्रेस पर
http://www.badaunexpress.com/archives/209434

विकास भारद्वाज ने कहा कि सिर पर जटा,क्रांतिदूत ने दुनिया को वीरता दिखाई। परशुराम ने भीष्म, द्रोण, कर्ण को धनुर्विद्या सिखाई। सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि कांधे पे पिनाक धारि, कर में कुठार लिए, अरि के दमन हेतु, चले भृगुनाथ हैं। मिर्जापुर से डा.कनक पाठक ने कहा कि विष्णु के कुल अवतारों में षटावतार तुम्हारा है, हे! जमदाग्निय वर दो हमको सहत्र प्रणाम हमारा है। शाहजहांपुर से प्रदीप बैरागी ने कहा कि परशुराम हैं राम के, युग सृष्टा अवतार। आकर पृथ्वी पर सकल,किया जीव उद्धार ।

यह कार्यक्रम काव्य गंगा यूटयूब चैनल पर भी उपलब्ध है :-


मुम्बई के रवि रश्मि अनुभूति ने कहा कि आज अक्षय तृतीया के दिन ही जयंती परशुराम की, क्रोध के भंडार रहे, प्यार के प्रतीक परशुराम की। संचालक षटवदन शंखधार ने कहा कि मातु रेणुका का पुत्र, वीरता का था प्रतीक, तीनों लोक नाम सुन,कांप कांप जाते थे, तीरों से था भरा हुआ,तरकश देख देख, शत्रु दल अति शीघ्र,भाव भांप जाते थे, वीर योद्धा जिस ओर, मुड जाता एक बार, दानवों के मुंड मुंड ,धूल में समाते थे, साधु जन विप्र जन,भृगु जी का नाम जप, हिय में आनंद लिए, अति सुख पाते थे।

यह खबर Sks life.in पर भी प्रकाशित है :-
http://skslife.in/?p=20923#.XqbRK4Vv7BA.whatsapp

भोपाल से नीतू राठौर ने कहा कि माता के प्रति प्रेम भाव था, मान रखा आज्ञा का पिता की जो थे पालनहार, पिता ने क्रोधवश चार पुत्रों को श्राप दिया खो देने का अपने विवेक विचार।
बंदा से प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि महाकाल शिव की आराधना में रत वह। भाव भक्ति प्रबल रही निष्काम हो गया। कर में परशु गहे, कांधे शरासन सोहे। तापस धनुर्धारी परशुराम हो गया। कामेश पाठक ने कहा कि भाल पे लाल त्रिपुण्ड लसै,उर रुद्र की माल विराजत है। वायें कर मे धनुवाण सजे,दहिने कर फरशा साजत है। रस रौद्र बसे जैसे नैनन मे,बैनन रस वीर सुहावत है । दास हृदय प्रभु वास करौ,तुम्हें पाठक शीश झुकावत है। बिहार दरभंगा से विनोद कुमार ने कहा कि छठे अवतार रूप विष्णु जी का आप ही हों भीष्म द्रोण कर्ण सारे शिष्य कहलाते हैं। उज्जवल वशिष्ट ने कहा कि कलियुग में साधू संतों का जीना है दुशवार, परशुराम भगवान तुम्हारा कब होगा अवतार। 

परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में सामाजिक संस्था के द्वारा  आनलाइन कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन - दैनिक वाडेकर टाइम्स - 

मेरठ से यतिन अधाना ने कहा कि सकल जगत की रक्षा में वो परशु धार चले रण में,अहंकार का दमन करनेप्रभु अवतार चले रण में लें। विष्णु असावा ने कहा कि प्रभु परशुराम मेरे, तुमने ही दुनिया तारी तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी।
कवि सम्मेलन में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के अध्यक्ष अतुल कुमार श्रोत्रिये ने सबका हदय से आभार व्यक्त किया। ग्रुप में श्रोता के रूप में सीमा चौहान, हरिचंद्र सक्सेना, डां राकेश कुमार जायसवाल, कौशिक सक्सेना ने सभी की कविताओं पर सटीक विश्लेषण टिप्पणी की और उत्साह वर्धन किया। संस्था सचिव पवन शंखधार ने सभी साहित्यकारों का आभार किया।

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

7:15 am

नज़्म कहो कि जीना नज़्म है जीने की एक और रस्म है नज़्म कहो.... गुलज़ार साहब

नज़्म कहो कि जीना नज़्म है
जीने की एक और रस्म है
नज़्म कहो....

गुलज़ार साहब

Kavita Baisakhi 2020

Nazm kaho.....

Winners will be selected by Gulzar Sir.

First prize -  30000 rs.
Second     -   20000
Third.        -   10000

 5000 rs. to seven runner up poets.

Rules....

1.      Poetry can be written in any poetic style.
         रचना किसी भी रूप में हो सकती है - शेर, नज़्म, कविता
2.      Subject – Disability
         विषय- विकलांगता
3.      Language – Hindi and Hindustani, Roman Hindi.
          भाषा - हिंदी, हिंदुस्तानी या रोमन हिंदी
4.      Word Limit – 75 (Max)
         शब्द सीमा-75
5.      A poem in its entirety must be an original work by the person entering the contest.
         रचना पूरी तरह मौलिक होनी चाहिए
6.      The title of the poem should be given by the participant.
         कविता का शीर्षक रचनाकार को ही देना होगा
7.      You may enter any number of Poems, but may only win one prize.
         एक से अधिक रचनाएँ भी स्वीकार्य होंगी पर पुरस्कार  के लिए एक ही रचना चुनी जाएगी
8.      The contest is open to any age.
         कोई आयु सीमा नहीं
8.      Any one from any part of the world can participate in this online contest.
         विश्व से कोई भी अपनी कविता भेज सकता है
9.      Last date of submission is 20th April 2020. 
         रचना भेजने  की अंतिम तिथि  20  अप्रैल  2020

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