ग़ज़लें
12:53 am
ग़ज़ल :- मुझे कहते रिश्ता निभाना भी है - खुशबू जैन
मुझे कहते रिश्ता निभाना भी है।
मगर दिल मेरा फिर दुखाना भी है।।
हुनर मुझको खोने का उसमे नहीं
मुझे छोड़कर उसको जाना भी है।।
मुझे कहते हैं प्यार करता तुम्हें
मगर क्यों हमें आज़माना भी है।।
समझना जरूरी है जज्बात भी
अगर रूठे को फिर मनाना भी है।।
मेरी आँखों से नींद ले क्यों गए
क्या ऐसे ही दिल को सताना भी है।।
नहीं मुझमें हिम्मत कि सच बोल दूं
मगर तुमको सच तो बताना भी है।।
खुशबू