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बुधवार, 3 जुलाई 2019

कविता:- माता

धरती हमारी माता है
गाय हमारी माता है
नदी हमारी माता है
हमारी माता भी हमारी माता है
जब तक इनके और हमारे बीच
पैसा नहीं आता है
उसके बाद कौन किसकी माता है
कौन किसका पुत्र!
कौन गाता
माँँ की महिमा कुत्र !

हम नहीं तो आख़िर कौन 
जो इनसे लाभ पाता
इनसे कमाता
इन्हें बेच खाता
वृद्धाश्रम भेज आता !
_______________
                                      केशव शरण
23-08-1960 
प्रकाशित कृतियां-
तालाब के पानी में लड़की  (कविता संग्रह)
जिधर खुला व्योम होता है  (कविता संग्रह)
दर्द के खेत में  (ग़ज़ल संग्रह)
कड़ी धूप में (हाइकु संग्रह)
एक उत्तर-आधुनिक ऋचा (कवितासंग्रह)
दूरी मिट गयी  (कविता संग्रह)
क़दम-क़दम ( चुनी हुई कविताएं ) 
न संगीत न फूल ( कविता संग्रह)
गगन नीला धरा धानी नहीं है ( ग़ज़ल संग्रह )
संपर्क एस2/564 सिकरौल
वाराणसी  221002
मो.   9415295137

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