हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

बुधवार, 4 अप्रैल 2018

गजल

वफा   की   कसम   वास्ता   दे   कर   गया ।
वजह   वो    न    कोई    बता    कर   गया ।।

वो'  रूठा  किसी  बात   पर   मुझसे'   फिर ।
वो'  हमसे   ही'   हमको   जुदा   कर   गया ।।

जुबाँ    बंद    आँखे    शायद   कुछ    कहे  ।
वो'   यूँ    दो   दिलों   की  सजा  कर  गया ।।

मेरा   दिल    न    जाने   कहाँ    गुम  हुआ ।
कोई    तो    है'   जो   बावरा    कर   गया ।।

मेरे  दिल  की' धड़कन  कहें  अब  कि वो ।
गलतफहमी'    से    फासला   कर   गया ।।
                        
बीती  रात  के  बाद  वो  फिर  न  जाने  क्यूँ ।
शहर    छोड़    मुझको    तन्हा    कर   गया ।।

उसे    शाम    ही   मैं    मिला   था   कि  एक ।
सुबह  "अक्स" खुद  का   खात्मा   कर  गया ।।

© विकास भारद्वाज "अक़्स बदायूँनी"
    4  अप्रेल  2018

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.