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बुधवार, 4 अप्रैल 2018

मंगलवार, 9 मई 2017

8:59 pm

निर्भया : सपना डाॅ. बनना था, चंद पलों में टूटा था । - विकास भारद्वाज

विजया घनाक्षरी

कछुआ गति इंसाफ, असर न्याय का हाफ।
निर्भया के माँ बाप के,जज्बे को नमन करो।।

सशख्त कानून दिला, बेटी को न्याय मिला ।
कोर्ट का निर्णय मान्य,दरिंदो अब तो डरो ।।

दरिंदों को दे फाँसी, न्याय की आस जागी ।
तुम्हे है जीना धिक्कार, फंदे पे लटक मरो ।।

सपना डाॅ. बनना था, चंद पलों में टूटा था ।
तुम्हे याद है वो दिन,न अब याचिका भरो ।।

विकास भारद्वाज "सुदीप"
6 मई 2017


शनिवार, 22 अप्रैल 2017

5:28 am

◆ जलहरण-घनाक्षरी ◆ विश्व पृथ्वी दिवस

पेडों को खूब लगाओ
भूमि से सोना उगाओ
पर्यावरण स्वच्छ हो
बीमारी से मुफ्त तन ।
                              नदी में दवा न छोडों
                              पेडों का दोहन रोकों
                              धरा पर फूल खिलें
                              शुद्ध हो मानव मन ।।
मलबा डालों खेतों में
कूडा न फेंक नालों में
दूषित जल से रोग
जल सदुपयोग कर ।
                              जीवन है जीना होगा
                              वन को बचाना होगा
                              जागरुक बन अब
                              प्रकृति की रक्षा कर ।।

विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400               21/04/2017

रविवार, 12 मार्च 2017

5:35 am

फागुन/होली- सायली छंद

1
होली
पर्व आया
घर तुम आये
गुलाल संग
प्रीतम

2
कपडे
रंग बिरंगे
बन गये पकवान
खाओ मीठा
पान

3
साजन
तुम बिन
सब फीकी होली
देखती राह
गली

4
सबको
लगादो रंग
आओ बच्चों खेले
प्यार के
रंग

5
हर
रंग बेहद
ख़ूबसूरत लगता है
हो खुशियाँ
घर

6
भंग
पिला कर
मस्ती में खेलेगें
मिटा सब
दोष

7
आया
फागुन महिना
करलो होली हुडदंग
पिचकारी भर
संग

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
12/03/2017

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