विजया घनाक्षरी
कछुआ गति इंसाफ, असर न्याय का हाफ।
कछुआ गति इंसाफ, असर न्याय का हाफ।
निर्भया के माँ बाप के,जज्बे को नमन करो।।
सशख्त कानून दिला, बेटी को न्याय मिला ।
कोर्ट का निर्णय मान्य,दरिंदो अब तो डरो ।।
कोर्ट का निर्णय मान्य,दरिंदो अब तो डरो ।।
दरिंदों को दे फाँसी, न्याय की आस जागी ।
तुम्हे है जीना धिक्कार, फंदे पे लटक मरो ।।
तुम्हे है जीना धिक्कार, फंदे पे लटक मरो ।।
सपना डाॅ. बनना था, चंद पलों में टूटा था ।
तुम्हे याद है वो दिन,न अब याचिका भरो ।।
तुम्हे याद है वो दिन,न अब याचिका भरो ।।
विकास भारद्वाज "सुदीप"
6 मई 2017
6 मई 2017
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