सुदिप्ता बेहरा 'दीप्त'
4:56 pm
बेटी - नन्ही कली आंगन में खिलने दो - सुदीप्ता बेहरा
नन्ही कली आंगन में खिलने दो,
खुशिओँ के एहसास को बांटने दो,
जमीँ से आकाश तक फैला है कहानी,
दुनिया में वजूद उस का चलने दो ||
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प्यारी गुड़िया सयानी होने दो,
दुनिया की उजाले देखने दो,
खुद उजाला दे कर बिखर जायेगी,
मन की पखोँ से उसे भी उड़ने दो |
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बेटी से ही संसार उसे सम्मान दो,
बेटा जैसा पाले एक सा हक दो,
न समझो आज अवला कमजोर उसे,
कदम से कदम मिला के चलने दो |
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महकती फुल है न तोडने दो,
मधुर गीत है कानो मे गुंजने दो,
रंग वो भर देगी दुसरोँ के जीवन मे,
दिल से उसे अपना बनने दो |
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शान है बेटी कोख में पलने दो,
है जरुरत उस की दुनिया में आने दो,
भले ही हर किसी का चाहत है बेटा,
दुनिया में बेटी को भी आगे चलने दो |
✍🏻 सुदिप्ता बेहेरा,दीप्त