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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

7:58 am

आक्रोश :- फख्र से उठती वर्दी का तुमने सिर गिरवाया हैं - सत्यदेव श्रीवास्तव

.#आक्रोश# 

फख्र से उठती वर्दी का तुमने सिर गिरवाया हैं 
वसन सिंह के लेकिन तुम पर गीदड़ का साया हैं 
सिंहो की टोली में तुम श्रगाल बने बैठे थे 
जो सबका हित चाहें उनका काल बने बैठे थे

अब तुमको जब सब सच्चा  इंसान मानते हैं 
वर्दी में छुपा हुआ तुमको भगवान मानते हैं 
ऐसे समय में तुमने खुद से ही गद्दारी की हैं 
लगता है तुमने जाहिल लोगो से यारी की हैं

करके गद्दारी तुम बच जाओगे ये सोचा हैं 
अरे जाहिलो बतला दो खुद को कितने में बेचा हैं 
बिषधर की भांति तुमने फिर से अब फुफकारा हैं 
लेकिन अबकी दिल्ली में बैठा मोदी बाप तुम्हारा हैं

मांबलिचिंग का रोना रोने वाले नहीं दिखाई दिये 
पुरस्कार लौटाने वाले स्वर भी नहीं सुनाई दिये 
देश फसा संकट में तुमने ये कैसा शोर मचा ड़ाला 
सर्वस्व त्यागने वाले को तुमने चोर बता ड़ाला

शासन प्रशासन क्यो ये सभी विवेक खो बैठे 
जिनको था रक्षक समझा वो ही भक्षक बन बैठे 
वीर शिवा की धरती पर कैसा कृत्य रचाया हैं 
देख तुम्हारी कायरता को बैरी मन में हर्षाया हैं

नही अगर सुधरे तो एक-एक कर छांटे जाओगे 
राष्ट्रद्रोहियो सुन लो बुरी तरह तुम काटे जाओगे 

सत्यदेव श्रीवास्तव
 बदायूँँ
 8630446679..8923088669

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

12:07 am

कविता :- तन समर्पित मन समर्पित जीवन समर्पित ये सारा - सत्यदेव श्रीवास्तव

तन समर्पित मन समर्पित जीवन समर्पित ये सारा
हा एक जन्म मैने भी इस मातृभूमि पर वारा
हम खुशियो से सराबोर थे रण में शत्रु किये ढेर थे
सम्मुख समर में टिकता कौन हम भारत मां के शेर थे
शिथिल हुआ शरीर और खडिंत सारे सपने थे
पर हम क्या करते गद्दार हमारे अपने थे
बची लहूं की एक बूंद भी तब तक शत्रुओं को मारा
हा एक जन्म मैने भी इस मातृभूमि पर वारा
हमने अपने घर को छोड़ा था दुनिया से नाता तोड़ा था
सिर पर करता काल क्रन्दन फिर भी ना मुख को मोड़ा था
वक्ष हनी जब तेग कटारी याद रहा फिर राणा का घोडा था
अरि दल का करने विनाश फिर चेतक सम मै दौड़ा था
स्वदेश पर सर्वस्व लुटाया जो था प्राणो से प्यारा
हा एक जन्म मैने भी इस मात्रभूमि पर वारा
हमे खुशी मिलती है देश धर्म पर जान लुटाके
हमे खुशी मिलती है दुनिया में भारत का मान बढा़के
हमे रोष बहुत था आया खंजर जब अपनो के हाथो देखी
भाई था जिसको माना कटार पीठ पर उसने घोपी
मातृभूमि की सेवा हेतू सुत को भी अपने वारा
अब की व्यर्थ ना जाने देना तुम बलिदान हमारा
                            सत्यदेव श्रीवास्तव

12:03 am

नज़्म :- मुझसे बिछड़े हो कैसा लगता है - सत्यदेव श्रीवास्तव

मुझसे बिछड़े हो कैसा लगता है
याद आओ हमको अच्छा लगता है

सारी दुनिया से लड़ सकता हूँ मैं
तेरे बिन सब कुछ सूना लगता है

तुम भी वादे बहुत किये थे ना
सब देखो अब हमको सपना लगता है

जा रहा है वो छोड़कर तो जाये ना
मेरा रिश्ते मे कुछ नहीं लगता है

जिसकी खुशबू धड़कन से भी आये
वो रिश्ता मुझको सच्चा लगता है

हर किसी को मौका नही देता मै
अब तो तन्हा रहना बेहतर लगता है

       © सत्यदेव श्रीवास्तव

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