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शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

2:49 am

कविता

यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है -

ओला गिरे या आग बरसे फसल उगानी पड़ती है ।
यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है ।।
जिंदगी भर आते है कई मोड़ जिंदगी में ।
हर बार किस्मत आजमानी पड़ती है ।।


हार हो या जीत योजना बनानी पड़ती है ।
रोशनी के  लिए आदमी को जोत जलानी पड़ती है ।।
हजारों प्रयास कर डालता है आदमी उन्नति के वास्ते ।
हर हाल में आदमी को कुछ न कुछ जोखिम उठानी पड़ती है ।।

ओला गिरे या आग बरसे फसल उगानी पड़ती है ।
यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है ।।.......
लेखक एवं देश कवि
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

6:50 am

जीतेन्द्र कानपुरी की कविता -


- गांधी जैसा हर कोई जो चलने लग जाए -

जब देश गुलामी पर जकड़ा
महिलाओं पर अत्याचार हुए ।
तब गांधी ने आवाज़ उठाई
जब भारत मा पर वार हुए ।।
थक गए गोरे, रंग बदलकर
नए नए तैयार हुए ।
गांधी के सम्मुख गोरों के
सब सपने बेकार हुए ।।

सत्य अहिंसा के दीपक सदा जलाए जाएंगे ।
संसद की दीवारों पर उनके चित्र लगाएं जाएंगे ।।
कितना भी बदनाम करे कोई देश के संत गांधी को।
फिर भी इस भारत भूमि में, यस गांधी के गाए जाएंगे ।।

लाल किले में गांधी की
तस्वीर लगाई जाएगी ।
आंदोलन की बाते भी 
सदा बताई जाएंगी ।।
कैसे एक कमजोर व्यक्ति 
दुश्मन पर भारी पड़ता है ।
ये दुनिया भर को सदा
सीख सिखलाई जाएगी ।।

भारत में जन्मा ये वीर ,इसका अभिमान रहेगा ।
गांधी का सदियों तक ,सदा सम्मान रहेगा ।।
गांधी जैसा हर कोई जो चलने लग जाए ।
सच कहता हूं देश ,सदा खुशहाल रहेगा ।।
लेखक एवं देश कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

10:05 pm

जीतेन्द्र कानपुरी की कविता - भारतीय पुलिस .....

भारतीय पुलिस के उत्साह के लिए मेरी पंक्तियां - 

हमको है रातों में ,दम से सोने की बीमारी ।
जाग रही है मगर देश में, पुलिस हमारी ।।
तब काहे की चिंता, जय जयकार करो ।
कानून व्यवस्था अच्छी है ,स्वीकार करो ।।

रातों में पहरे है देती, सब कुछ उसके ध्यान में ।
उसे पता है कौन है, अपराधी उसके संज्ञान में ।।
तोड़ तोड़के कुचल कुचल के,अधमरा कर देती है।
जिसने पुलिस किनहीं सुनी,क्रिया कर्म कर देती है।।

हूटर वाली गाड़ी, आती है अब सारी ।
देखकर लाल नीली बत्ती, टिकते नहीं जुआरी ।।
अच्छा है बिन भय के, अब जीते हैं व्यापारी ।
क्योंकि भारत देश में, चल रहा प्रशासन भारी ।।

अच्छा है स्वच्छ करो, भारत को पवित्र करो ।
छोटा हो या बड़ा ,अपराधी को बंद करो  ।।
एक ही बात आती है, बस मेरे अब ध्यान में ।
कानून व्यवस्था अच्छी है, मेरे हिंदुस्तान में ।।
लेखक कवि एवं गीतकार -
 जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179
9:46 pm

कवि जीतेन्द्र कानपुरी की कविता -

देखो जहां मै रहता हूं खुशहाली ही खुशहाली है -

उन गलियों को छोड़ दिया
जिन पर दुष्ट रहा करते थे ।
जिनको ज्ञान नहीं था बिल्कुल
लड़ाई ही लड़ा करते थे ।।
बे मतलब में लोगों को
खूब सताने वालों का ।
आधी रात को बेफिजूल में
आने जाने वालों का ।।
वो जगह ही छोड़ दी मैंने 
उन गलियों को और लोगों को।
जिनके घर में कुछ न था
 खुद को शेर कहा करते थे ।।
नए शहर में नई जगह में
नई हवा चलाई है ।
मुझको मेरे इष्टदेव ने 
मंजिल यहीं दिलाई है ।।
न गुंडा न कोई मवाली
न ही कोई बवाली है ।
देखो जहां मै रहता हूं
खुशहाली ही खुशहाली है ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9:37 pm

कवि जीतेन्द्र कानपुरी की कविता -

हर समय इंसानों का घमंड नहीं रहता -

चाहे जितना हो बलवान
वो बलवंत नहीं रहता ।
हर समय इंसानों का 
घमंड नहीं रहता ।।
करले मन की मर्जी
जितने दिन कर पाए तू ।
कुछ दिन के महमानों
सबका अंत लिखा रहता ।।
कोई मन का राजा है
कोई खुद को खुदा समझता ।
संसार के स्वामी के आगे
कोई खुदा नहीं रहता ।।
अच्छे अच्छे बिखर गए 
समय के तूफानों से ।
समय की गहरी चाल से
कोई जुदा नहीं रहता ।।
सबपे नजर है उसकी
इतना रखना ध्यान ।
पन्ना जब वो फाड़ डालता
फिर, कोई बचा नहीं रहता ।।
जो जलता है आदि अंत तक
वो भी धीमा हो जाता है ।
सूरज भी देखो सर्दी में
प्रचण्ड नहीं रहता ।।
चाहे जितना हो बलवान
वो बलवंत नहीं रहता ।
हर समय इंसानों का 
घमंड नहीं रहता ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179
9:28 pm

जीतेन्द्र कानपुरी कविता - सफलता के सूत्र

सफलता का सूत्र -


आगे बढ़ने वालो
तुम इतना जोश भर लो ।
कि सामने वालों को
सबको खामोश कर दो ।।

यही एक उपाय है
जो तुम्हे बदल देगा ।
तुम्हारा जोश ही
तुम्हारी कहानी बदल देगा ।।

तुम न देखो किसी को
तुम अपनी परवाह करो ।
तुम इस बहते हुए
सागर को पार करो ।।
तुम्हारे लिए
जमाना एक चुनौती है ।
तुम सिद्ध करो खुद को बस
सिद्धि से ही सफलता मिलती है ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
सबको खामोश कर दो ।।

यही एक उपाय है
जो तुम्हे बदल देगा ।
तुम्हारा जोश ही
तुम्हारी कहानी बदल देगा ।।

तुम न देखो किसी को
तुम अपनी परवाह करो ।
तुम इस बहते हुए
सागर को पार करो ।।
तुम्हारे लिए
जमाना एक चुनौती है ।
तुम सिद्ध करो खुद को बस
सिद्धि से ही सफलता मिलती है ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179
9:22 pm

जीतेन्द्र कानपुरी कविता

 शीर्षक - बदलाव 
चलो उठो न , अब कैसी मज़बूरी है ??
बदलाव के लिए बदलना बहुत जरूरी है ।
उम्र कितनी भी हो खुद को बूढ़ा मत समझो ।
राह बदलो ,राह बदलनी बहुत जरूरी है ।।
देखो सुनो खेलो कूदो मगर
लक्ष्य का चयन भी करो ।
जिंदगी जंग है 
मैदान में उतरना बहुत जरूरी है ।।
नहीं तो दुनिया तुम्हे पीछे धकेल देगी ।।
तरक्की करना है तो चलना बहुत जरूरी है ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)

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