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रविवार, 3 जून 2018

2:01 am

मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह में शीतल प्रसाद की कुछ ग़ज़लें

ग़ज़ल 1
बहर- 212 212 212 212
काफ़िया- आ
रदीफ़- चाहिए

अब दुआ चाहिए ना दवा चाहिए ।
आशिकी की हमे तो हवा चाहिए।।

जिंदगी का सफर तन्हा कटता नही ।
उम्र भर के लिये हमनवा चाहिए ।।

देश को बेचकर चोर खा जाएंगे ।
देशद्रोही   मरे   बद्दुआ  चाहिए ।।

बुझ सकी है न प्यास समुद्र से कभी ।
प्यास सबकी बुझे एक कुंआ चाहिए ।।

आसमा को झुकाना बड़ी बात नही ।
हौसला तो है माँ की दुआ चाहिए ।।

आ नही पाएगा ये बुढ़ापा कभी ।
दिल हमेशा हि रखना जवा चाहिए ।।

शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 2
बह्र - 1222  1222  122
काफिया - ऐरा
रदीफ - हो गया है

गगन  भी  अब घनेरा हो गया है ।
बहुत  गहरा  अंधेरा  हो  गया है ।।

दिखा न कई दिनों से सूरज यहाँ ।
उजालों   पर  पहरा  हो गया है ।।

जिंदगी  वतन  के नाम करदी है ।
कफ़न ही अब सेहरा हो गया है ।।

हमारी आदत न बदली अभी तक ।
भले   दूजा  बसेरा  हो  गया  है ।।

जहाँ सजती रही पहले महफ़िलें ।
वहाँ  भूतों  का  डेरा  हो गया है ।।

चमक लेता है जुगनू हुनर  उसका ।
इंसा कोशिश में दुहरा हो गया है ।।
 
शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 3
बह्र - 1222 1222 1222
काफ़िया - ऐ
रदीफ - को

नही  है साथ में  कोई  भी चलने को ।
रखूंगा आस तुमसे मैं ही मिलने को ।।

सुना है तू शमा है रोज जलती है ।
मचलता हूँ तू आकर देख जलने को।

तुम्हारे प्यार की चाहत सदा खींचे ।
न रस्ता है न मंजिल है  ठहरने को ।।

बहुत ही आग सूरज अब उगलता है ।
लगी धरती सुबह ओ शाम जलने को ।।

जो पचपन से कभी सपने संजोये थे ।
यंहा वक्त कब मिलता ख्वाब बुनने को ।।

वन्देमातरम  नारा  कौन  कहता है ।
मिले अब रोज मुर्दाबाद सुनने को ।।

फना हो जाऊंगा मैं देश की खातिर ।
तिरंगे का कफ़न देना पहनने को ।।
                                     
शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 4
बहर-122 122 122 122
काफ़िया - आना
रदीफ़    -  हुआ है

तुम्हे देखकर अब जमाना हुआ है ।
तुम्ही से मिरा दिल लगाना हुआ है ।।

मुहब्बत में कुछ सूझता ही नही है ।
जहां में सभी  का फ़साना हुआ है ।।

चलो आज फिर दिल नया ढूंढ लाये ।
धड़कते  हुये  अब  पुराना  हुआ  है ।।

पलक आपकी आज बोझिल हुई है ।
सुना  है  कि  आंसू  बहाना  हुआ है ।।

जिसे  ढूंढता  रात  काफ़िर  रहा  था ।
उसी का ही मस्जिद में आना हुआ है ।।

पंछी तू चलाजा जि चाहे जहाँ तक ।
लिखा  पर  यही देख दाना हुआ है ।।

शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 5
काफ़िया:- आनी
रदीफ़:- नही है
बहर:- 122 122 122 122

जवां खून में अब रवानी नही है ।
मिटे देश पर वो जवानी नही है ।।

सताया गया हूं जमाने से फिर भी ।
किताबों में  मेरी  कहानी  नही है ।।

बिखेरो न जलवा युं हुस्ने बहारो ।
सुना है  अभी तू सयानी नही  है ।।

मिलेंगे न मोहन  किसी को जहां में ।
मीरा  सी  जगत  मे दिवानी नही है ।।

सजी  है  दुकाने  युं  हर  और  लोगों ।
किसी की भी आंखों में पानी नही है ।।

उजाड़ी  धरा  मौन  साधे  खड़ी है ।
लहरती चुनर उसकी धानी नही है ।।

शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 6
बह्र:- 222  221  122
काफ़िया:- आन
रदीफ़:- बहुत हैंं

कहने  को  इंसान बहुत हैं ।
पर दिल के शैतान बहुत हैं।।

पग पग  में हैं धोखे मिलते ।
घर  घर  बेईमान  बहुत हैं।।

पतझड़  जैसा  मेरा जीवन ।
जीने  का  अरमान बहुत हैंं।।

माँ   तुझको   मैं  भूलूं   कैसे ।
मुझ पर तो अहसान बहुत हैं ।।

फुटपाथों  पर  भीड़  लगी  है ।
कहने भर को मकान बहुत हैंं।।

ढोंगी   देखो  सन्त  बने  हैं ।
सजने लगी दुकान बहुत हैंं ।।

मुट्ठी  में  कर लूं  आसमां को ।
इस  दिल में अरमान बहुत हैंं।।

शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 7
बह्र - 1222×4
काफ़िया:- आया
रदीफ़:- है

जमाने  ने  सताया  है  कि  अपनों  ने  भुलाया है ।
जरा नादान दिल मेरा समझ अब तक न पाया है ।।

जिन्हें अपना बनाया था लिये हाथों मे खंजर हैं ।
किये  हैं  वार  पीछे  से  हमें  अक्सर रुलाया है ।।

करे जो प्यार से बातें वही दुश्मन हमारे हैं ।
पलट इतिहास को देखो कबीरा ने बताया है ।।

चले आओ शहर मेरे हमारा दिल नही लगता ।
वफ़ा की लाज तुम रखना तुम्हे हमने बुलाया है ।।

हमेशा दूर ही रखना दहकते इन चरागों को ।
बड़े मशहूर हैं किस्से इन्होंने घर जलाया है ।।

बड़े  मगरूर बैठे हैं लुटेरे जो सिंहासन पर ।
कमीने भूल हैं शायद तुम्हें हमने बिठाया है ।।

नही भूला हूं तुझको माँ तुम्हारी याद आती है ।
नसीबे हिस्से का खाना सदा मुझको खिलाया है ।।

शीतल प्रसाद

ग़ज़ल 8
बह्र :- 212  212  212
काफ़िया:- आ
रदीफ़:- दे मुझे

यार   अपना   पता   दे   मुझे ।
यूं  न  अब   तू  सजा  दे मुझे ।।

पीर   है   या   खुदा  वो  ही  है ।
कौन   है   तू   बता   दे   मुझे ।।

कौन जाने कि कब निकले दम ।
मैखाने से ले आ शै पिला दे मुझे ।।

मयकदा   मान   बैठा   तुम्हें ।
आँख  से  मय  पिला दे मुझे।।

जंग    जीती    हमेशा    मैंने ।
कौन   है   जो   हरा  दे  मुझे ।।

चाहता   हूं    उसे    भूलना ।
आज   ऐसी   दवा   दे  मुझे ।।

बेवफाई   न   करना   कभी ।
राज  दिल  के  बता  दे मुझे ।।

प्यार  में  बहुत  धोखे  मिले ।
तू  कही  ना  भूला  दे  मुझे ।।

शीतल प्रसाद

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