ख़त
4:52 am
मैं अपने देश से अथाह प्यार करती हूँ। मेरा प्रेम पत्र मेरे देश तुम्हे पता है , - इन्दु शर्मा
मैं अपने देश से अथाह प्यार करती हूँ। मेरा प्रेम पत्र मेरे देश
तुम्हे पता है ,
मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूँ।
सायद ही कोई करता हो। सच कहूँ
आज मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही
है।जानते होजब तुम्हे छूकर कोई *गद्दार*
गैर मुल्क के नारे लगाता है, तो मुझे
बहुत तकलीफ होती है, मेरी आत्मा
तड़प उठती है मन करता है उसका
मुँह नोच डालू। मैने सुना आजकल
तुम्हे मिटाने की साजिश चल रही है।
देश द्रोहियों से जरा सम्भल के रहना।
मैने अपने कानो से सुना था,
गद्दार तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करने की बात कर
रहे थे। पर मेरा प्यार हमेशा
तुम्हारी कवच बन कर रक्षा करेगा।
तुम्हारे चाहने वालों की कमी नही है ।
तुमसे ही तो हमारा वजूद है। हर
जनम मैं तुम्हें ही वरण करूँ
यही मेरे दिल की चाहत है।
खैर छोड़ो इन बातो को आजकल
तुम्हारे सासों की महक मुझे महकाने लगी है।
जब तुम्हे छूकर हवा आती है
तो केशर की खुशबू इस कदर बिखर जाती है
मेरा तनमन सब महक उठता है।
तुमसे प्यार जो करती हूँ ।
कभी कभी सोचती हूँ
काश मैं इन्दू न होकर तिरंगा होती,
तो हरपल तुम्हारे सीने से लगी रहती,
तुम्हारे प्रेम का प्रतीक बन कर।
सच कहूँ तुम बस तुम हो तुम्हारे जैसा और
कोई नही हो सकता ।
इसी लिये तो मैं तुम्हें इतना प्यार करती है। 🙏
इन्दू शर्मा "शचि"
तिनसुकिया असम
तुम्हे पता है ,
मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूँ।
सायद ही कोई करता हो। सच कहूँ
आज मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही
है।जानते होजब तुम्हे छूकर कोई *गद्दार*
गैर मुल्क के नारे लगाता है, तो मुझे
बहुत तकलीफ होती है, मेरी आत्मा
तड़प उठती है मन करता है उसका
मुँह नोच डालू। मैने सुना आजकल
तुम्हे मिटाने की साजिश चल रही है।
देश द्रोहियों से जरा सम्भल के रहना।
मैने अपने कानो से सुना था,
गद्दार तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करने की बात कर
रहे थे। पर मेरा प्यार हमेशा
तुम्हारी कवच बन कर रक्षा करेगा।
तुम्हारे चाहने वालों की कमी नही है ।
तुमसे ही तो हमारा वजूद है। हर
जनम मैं तुम्हें ही वरण करूँ
यही मेरे दिल की चाहत है।
खैर छोड़ो इन बातो को आजकल
तुम्हारे सासों की महक मुझे महकाने लगी है।
जब तुम्हे छूकर हवा आती है
तो केशर की खुशबू इस कदर बिखर जाती है
मेरा तनमन सब महक उठता है।
तुमसे प्यार जो करती हूँ ।
कभी कभी सोचती हूँ
काश मैं इन्दू न होकर तिरंगा होती,
तो हरपल तुम्हारे सीने से लगी रहती,
तुम्हारे प्रेम का प्रतीक बन कर।
सच कहूँ तुम बस तुम हो तुम्हारे जैसा और
कोई नही हो सकता ।
इसी लिये तो मैं तुम्हें इतना प्यार करती है। 🙏
इन्दू शर्मा "शचि"
तिनसुकिया असम