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मंगलवार, 17 अक्टूबर 2017

12:02 am

दीपावली दोहे


नन्हें दीपक की लगन, आँधी को दे मात ।
अँधेरा दूर भगा कर, उगा लालिमा प्रात ।।

सजा दिया थाल पूजा, साथ रहे परिवार ।
मनाओ घर - घर ऐसे , दीपों का त्यौहार ।।

बाज़ार में चमक है पटाखों की आवाज ।
खूब रौनक बढी है दीपावली पर आज ।।

चाइनीज दीपक छोड, मिट्टी दीप उद्दीप ।
जलाओ दिवाली पर, हर घर में अब दीप ।।

धन त्रयोदशी, गोवर्धन,भैया दूज सर्व ।
कार्तिक मास अमावस दीपावली पर्व ।।

पटाखे फूटने लगे, दीप जले अविराम ।
लक्ष्मी-गणेश पूजा आरम्भ होगी शाम ।।

घर में कैसे जलेगें , सजन इस बार दीप ।
काहे की दीपावली, जब तुम नहीं समीप ।।

लहंगा, चुनरी, बिंदी, कंगन, छुमके संग ।
तुझसे गोरी फूटते, फुलझड़ियों से रंग ।।

चमके जब लौ दीप की, लोग रहे हरसाय ।
तब घूँघट में नव वधू, मन ही मन मुस्काय ।।

भाईचारे की भावना को बल मिल जाए ।
सभी के घर में आनंद के सुखद क्षण आए ।।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
11 अक्टूबर 2017 

बुधवार, 26 जुलाई 2017

4:53 am

हरियाली तीज

हरियाली तीज दोहे-

घर में नव व्यंजन बनें, खाना लगे लजीज ।
सावन आये बरसता, तब हरियाली तीज।।

हाथों में रच मेंहदी, सखियाँ गाये गीत ।
सबके सजन घर आये, तुम भी आना मीत ।।

खनकती नयी चूड़ियाँ, मेंहदी रची हाथ
करें संगिनी कामना, साजन रहना साथ ||

विकास भारद्वाज "सुदीप"
26 जुलाई 2017

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