मित्रों!
3 फरवरी 2019 दिन रविवार को छत्रशाल स्मारक न्यास, चौक बाजार छतरपुर में मुहब्बत साझा ग़ज़ल संग्रह का विमोचन एवं सम्मान समारोह के साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का कार्यक्रम सुनिश्चित हुआ|कार्यक्रम की तैयारी प्रिय अनुज सुमित शर्मा पीयूष जी और प्रिय नीतेन्द्र परमार सिंह भारत जी के सहयोग से कई दिनों की कड़ी मेहनत से पूर्ण हो चुकी थी|
अब कार्यक्रम प्रकाश में आना था, सब अपने अपने घरों से एक दूसरे से मिलने के लिए आतुर हो घरों से निकल चुके थे|प्रिय अनुज विकास भारद्वाज 'सुदीप' जी जो कि मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह के प्रधान सम्पादक हैं, खुशी के मारे 31 जनवरी को ही घर से चल पड़े|सबसे पहले छतरपुर पहुँचे भी वही|
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झाँसी के किले की प्राचीर पर |
अब बचे प्रयास जी, मैं और आस दादा|प्रिय मित्र आलोक सैनी जी को राजी किया साथ चलने को, सहर्ष तैयार हो गये पर 2 फरवरी को चलने की शर्त थी, विद्यालय कार्य पूर्ण करके|

प्रिय भाई आलोक सैनी जी तय समय पर गाड़ी लेकर घर पर आ गये |प्रयास जी और आस दादा को मँगाना पड़ा उनके घर से|शाम पाँच बजे घरर से निकल पड़े, हँसते हँसाते ,गाल बजाते, रास्ता भटकते, पूछते पाँछते, कोहरे से जूझते सुबह तड़के छतरपुर के बस स्टैण्ड पर हमारी गाड़ी पायी गयी |बाइक लिए मुँह पर मफलर लपेटे प्रिय अनुज नीतेन्द्र जी प्रकट हुए उनके एक साथी साथ में थे, मैं दुकान पर पान खा रहा था, ऐसा लगा कि प्रिय नीतेन्द्र जी हमारी किडनैपिंग करने आये हैं |खैर जैसे-तैसे एक निर्धारित स्थान पर पहुँचे, शटर खोला गया, जीना दिखा और ऊपर पहुँचा दिए गये|बिस्तर बिछाकर अन्य सभी साथियों को लिटा दिया गया, मुझे नीतेन्द्र जी अपने साथ ले गये अपने घर पर वहाँ घर के सभी सदस्यों से मिला|आपके पिता जी के स्वभाव ने बहुत प्रभावित किया, खूब बातें हुईं हम लोगों के मध्य |इसी बीच दैनिक क्रिया से निपटा, बहिन सुधा तब तक चाय जे आयी, चाय पी, बातों बातों में पता चला कि अनुज नीतेन्द्र जी का नाम छोटे राजा भी है|पापा जी स्नेह पगी बातें करते रहे और हाँ यहीं विकास जी भी प्राप्त हुए सोते हुए, जैसे तैसे जगाया |

फिर अतिथि ग्रह पर लाया गया |सब दैनिक क्रिया करते नज़र आये, मैं भी नहा लिया, कपड़े ही पहन पाया कि तब तक दूसरी खेंप भी नीतेन्द्र जी किडनैंप कर लाये, इस खेंप में आ. लियाकत अली जलज दादाश्री, आ. संतोष कुमार प्रीत दादाश्री, प्रिय अनुज सुमित शर्मा पीयूष जी, आ. राजेन्द्र प्रसाद बावरा दादाश्री , आ. बिजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश दादाश्री |
एेसा लगा कि मजा चलकर आ गया हो|सब पानी बहाने पर डट गये, आगरे गूँज आ रही थी और बनारस की खुशबू |



तब तक चाय भी तैयार होकर आ गयी और नाश्ता भी, बिहार बनारस और छतरपुर का नाश्ता हम सबने छका, मस्तियों को कैद किया मोबाइल में और खुजराहो का मंदिर देखने के लिए दो खेंपों में रबाना हो गये, आ. शैलेन्द्र खरे सोम दादाश्री से फोन पर बात हो गयी कि अनुज थोड़ी देर में आता हूँ |
मंदिर पहुँच गये, मंदिर की चित्रकारी पत्थरों पर देख मन रोमांचित होकर उठा|हम सब फोटो पर फोटो ले रहे थे |तीन बजे वापस आ गये थे,
सबसे पहले आ. सोम दादाश्री मिले, गले से लगा लिया और कहा कि मेरा अनुज शरीर में मेरी तरह ही है|
तब तक खाना तैयार हो गया था, सबने भोजन किया और कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे|सबके स्नेह और सहयोग में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, भव्यतम् कार्यक्रम, मंच पर सुशोभित सोम दादाश्री के साथ अन्य स्थानीय वरिष्ठ साथी |संचालन का गुरुभार मुझे ही उठाना पड़ा|एक एक कर सभी को सम्मानित किया गया व काव्य पाठ हुआ|सबके स्नेह से पगी मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह का विमोचन हुआ |


9:30 बजे कार्यक्रम समाप्त हो गया था|कार्यक्रम जल्दी समाप्त करने का कारण छतरपुर के एक वरिष्ठ बी. जे. पी नेता का निधन रहा|जिसे गोपनीय रखा गया|
फिर रुकने के स्थान पर आये, सारा समान प्रिय अनुज जयकांत जी, प्रिय अनुज अनंतराम जी और कई साथी से आये थे|थकान होने के बावजूद भी मैं और आलोक सैनी जी घूमने निकल गये |एक घण्टे बाद लौटकर आया, भोजन हो चुका था |वार्तालाप वर्षा हो रही थी|
पेट में गैस बन जाने के कारण भोजन न किया, कुछ खाकर भी आये थे|


आ. सोम दादाश्री और मैं देर रात तक बतलाते रहे|आ.शैलेश दादा की कविता सुनते रहे|आ.बावरा जी रात भर कुछ ढूँढ़ते रहे, जाने क्या खो गया था, मिला कि नहीं राम जानें|
कमरे की लाइट बुझा दी थी और फिर निद्रा की गोद में सब चले गये |आस दादाश्री सोये कि नहीं, पता ही नहीं |
सुबह उठा, दैनिकक्रिया का अभिवादन कर चाय नाश्ता किया, अन्य सभी साथियों को उनके हाल पर छोड़ ,आ. सोम दादाश्री और प्रिय अनुज नीतेन्द्र जी के साथ सभी से विदा ले हम निकल आये|


महोबा में चाय पकौड़ी ठूँसीं|फिर आगे बढ़े कबरई का बन्धा देखा, फिर आगे बढ़े, एक ढाबे पर खाना खाया,फिर आगे बढ़े |
हँसी मजाक, ठहाके के बीच, अँधेरा पाँव पसार चुका था|
अब कोहरे से जूझना था, रात के 1:00 बजे घर ने दर्शन दिए|
विकास जी साथ में थे, गाड़ी गैराज में खड़ी कराकर, घर आये, विकास जी का विस्तर तैयार था और मेरा विस्तर थकान खुद बिछा रहा था, सो झट से सो गया|
सुबह विकास जी को बस पर बिठाया और फिर मैं अपने कामधन्धे में लग गया|
जय जय
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दिलीप कुमार पाठक "सरस" |
मन मोह लिया ऐसे अद्भुत अविस्मरणीय कार्यक्रम के शाब्दिक अनुभव ने, मुझे सौभाग्य न मिल सका, स्वंय की विपरीत परिस्थितिओं के कारण, अपने प्रियजनों और सन्त गुरु शैलेन्द्र खरे'सोम' जी मिलने का अवसर प्राप्त न हो सका| बहुत ही उत्कृष्ट कार्यक्रम रहा, अनुज दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी, अनुज सुमित शर्मा पीयूष जी, विकास भरद्वाज 'सुदीप' जी, नीतेन्द्र सिंह परमार जी, आ० 'लियाकत अली जलज जी, आ० सन्तोष कुमार'प्रीत' जी, आ० कौशल कुमार पाण्डेय 'आस'जी, इत्यादि सभी साथियों का सर्वांगीण प्रयास फलित हुआ` मुहब्बत़ गज़ल़ संग्रह का शानदार विमोचन एवं काव्यपाठ की आप सभी साथियों को हृदय तल से बधाई एवं साधुवाद|
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन की आवाज है मुहब्बत़|
हर दिल का साज है मुहब्बत़|
बस जीने की तमन्ना हो संजीद|
खुशियों की हम राज़ है मुहब्बत़|
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
मन मोह लिया ऐसे अद्भुत अविस्मरणीय कार्यक्रम के शाब्दिक अनुभव ने, मुझे सौभाग्य न मिल सका, स्वंय की विपरीत परिस्थितिओं के कारण, अपने प्रियजनों और सन्त गुरु शैलेन्द्र खरे'सोम' जी मिलने का अवसर प्राप्त न हो सका| बहुत ही उत्कृष्ट कार्यक्रम रहा, अनुज दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी, अनुज सुमित शर्मा पीयूष जी, विकास भरद्वाज 'सुदीप' जी, नीतेन्द्र सिंह परमार जी,राजेश मिश्र प्रयास जी, आ०'लियाकत अली जलज जी, आ० सन्तोष कुमार'प्रीत' जी, आ० कौशल कुमार पाण्डेय 'आस'जी, इत्यादि सभी साथियों का सर्वांगीण प्रयास फलित हुआ` मुहब्बत़ गज़ल़ संग्रह का शानदार विमोचन एवं मधुरिम काव्यपाठ हेतु आप सभी साथियों को हृदय तल से बधाई एवं साधुवाद|
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन की आवाज है मुहब्बत़|
हर दिल का साज है मुहब्बत़|
मन की पीड़ा को भरता है प्रेम|
अहसासों का सरताज है मुहब्बत़|
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'