इस सुअवसर पर 'मुहब्बत' साझा ग़जल संग्रह का विमोचन भी किया गया, जिसके प्रधान सम्पादक विकास भारद्वाज "सुदीप" ने विमोचनोपरांत कहा कि ग़ज़ल वह लफ्ज है जो कानों में पड़ते ही मुहब्बत का अहसास करता है, तो नश्तर सा दिल में चुभ भी सकता है, जिंदगी के हालात और अनचाहे फैसले से लेकर दिल की कशिश, कच्ची नींद के ख़्वाब सा नाज़ुक तो कभी बेवा की टूटी चूडियों सा भूखे के लिए रोटी सा उक्त भावों से यह 'मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह' लबालब है तथा सम्पादक शैलेन्द्र खरे"सोम" ने कहा कि ग़ज़ल संग्रह में ग़ज़लकारों ने अपनी ग़ज़लें संग्रह में दी है साहित्यिक एवं प्रेमयुक्त सुपठनीय और सभी रसों का समागम है, विभिन्न प्रान्तों से पधारे कवियों के क्रम में संजीव खरे"समर्थ"जी, विकास भारद्वाज "सुदीप", लियाक़त अली'जलज'जी,कौशल कुमार पाण्डेय'आस'जी, बृजेन्द्र नारायण द्विवेदी'शैलेष'जी, राजेन्द्र प्रसाद बावरा जी,सन्तोष कुमार"प्रीत"जी,दिलीप पाठक 'सरस', आलोक सैनी जी, राजेश कुमार मिश्रा 'प्रयास'जी, शैलेन्द्र खरे 'सोम', तुलाराम अनुरागी"व्योम' विश्वेश्वर शास्त्री'विशेष',सुमित शर्मा 'पीयूष' की उपस्थिति ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
इस अवसर वरिष्ठ विशिष्ट साहित्यकार शिवभूषण सिंह गौतम जी (कार्यक्रम अध्यक्ष),नवलकिशोर मायूस जी (विशिष्ट अतिथि),डॉ.राघवेंद्र उदेनिया सनेही जी रहे ।
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