शेर पे सवार होके,जगत जननी वो माता!
भक्तो के लिये देखो, दौडी चलि आई है!!
दिन दु:खियो के उसने,हर लिये सब दु:ख!
सौगात खुशियो कि,झोली भर लाई है!!
छोडो सब मनमुटाव,द्वेष,क्लेश ईर्षा भी!
देखो,देखो कितनी सुहानी घडी आई है!!
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा,कितना है शुभ दिन!
जगत कि पालनहार,घर-घर आई है!!
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!! २ !!
करो पुजां आराधना,और भक्ती साधना!
जो भी करो तन-मन,और ध्यान से करो!
पुरे दिन,आधा दिन,चार छह घंटे या तो!
पांच मिनट ही सही,पुरी श्रध्दा से करो!
जलाओ अखण्ड ज्योत,या जवारा बोओ कोई!
करो व्रत उपवास,या मौन व्रत तो धरो!
मायके आई है मैय्या,नौ दिन के लिये तो!
करो धुप निरंजन,कोई रंगोली भरो!!
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!! ३ !!
तुही सिंहवाहिनी है,महिषासुर मर्दिनी तु!
तुही माता जगदंबा,तुही तो भवानी है!
दृष्टो का संहार करे,नित नए रुप धरे!
बम्लेश्वरि,ज्योतावाली,तुही माता रानी है!!
नौ दिन भक्तो को,दशहरा दिवाली लगे!
सप्तशति,चालिसा तो,सबकि जुबानी है!
श्रध्दा भक्ति कि जो बहे,घर-घर सुर सरी!
ऎसा क्यो न लागे,घर-घर महारानी है!!
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!! ४ !!
चंड-मुंड मारे मैय्या,रक्तबिज भी संहारे!
महिषासुर वध किया,मैय्या पल भर मे!!
भक्तो पे है साया तेरा,भक्तो पे है माया तेरी!
नौ दिन नौ भोग,लागे घर-घर मे
बैठकि मे गाय का घी,द्वितिया शक्कर तिजा!
दुध खिर,मालपुआ,चढ़े चौथे दिन मे!!
केला चढ़े पंचमि को,शहद शष्ठी सप्तमि गुड!
अष्टमि को नारियल,तिल चढ़े नवमि मे!!
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**अंतिम बंद**
!! ५ !!
साढ़ेतिन शक्तिपीठ,है मांता रानी के जो!
तुलजापुर कि तुलजा,कोल्हापुर कि माहालक्ष्मी है!!
माहुरगढ़ कि माँ रेणुका,वणी कि है सप्तश्रृंगी!
ये मांता के श्रध्दा स्थल,साढेतिन पिठ है!!
कोई बिपदा न आए,कभी उस भक्त पर!
माता सारे सुख देके,दु:ख उसके लेति है!
सच्चि भक्ति और साधना,जो भी करे आराधना!
माता सदा उस भक्त के,घर मे ही रहति है!!
स्वरचित:-
हास्य,व्यंग,ओज,पँरोडी कवि
धनंजय सिते(राही)
mob:-9893415829
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