ये ख्याल भी न जाने कैसा ख्याल है
खोया रहता हूँ तुम्हारे ख्यालों में,
तेरी चाहत जो अक्सर खींच लेती है
मुझको तेरी ओर।
डूबा सा जाता हूँ तुझमें इस कदर,
कि ख्याल ही नहीं रहता कि क्या हो रहा मुझको।
कह दो इन ख्यालों से कि यूँ न सताए मुझे,
अच्छा लगता है, बस एक ख्याल तुम्हारा
ये सुबह ,सर्द हवा और ये सुहाना मौसम
याद दिलाते हैं वो लम्हें
अक्सर उन लम्हों की यादों में
मायूस होने लगता हूँ
फिर??
अच्छा लगता है
बस एक ख्याल तुम्हारा
क्या है वो ख्याल ?
वो ख्याल कुछ ऐसा है,
तुमको सोचना, बीते लम्हे याद करना
जहाँ हर दर्द खूबसूरत लगता है ।
वो ख्याल इन सर्द हवाओं में कुछ यूँ आता है
और लबों मे मुस्कान ला देता है
एक अजीब सी बात है तुझमें,
जो हमेशा से पास बुलाती तुझको,
मेरे सपनों में।
चाहने लगा हूँ इस कदर तुझको,
समझ ही नहीं आता मुझे खयाल कोई और।
कि मिलोगी तुम मुझे कहीं इन ख्यालों के किसी अनजानें मोड़ पर।।
कभी भूल न जाना मुझको सनम
मेरे ख्यालों में सिर्फ तुम हो.......सिर्फ तुम हो
✍विकास भारद्वाज 'सुदीप'
22 जुलाई 2017
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