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मंगलवार, 9 मई 2017

8:59 pm

निर्भया : सपना डाॅ. बनना था, चंद पलों में टूटा था । - विकास भारद्वाज

विजया घनाक्षरी

कछुआ गति इंसाफ, असर न्याय का हाफ।
निर्भया के माँ बाप के,जज्बे को नमन करो।।

सशख्त कानून दिला, बेटी को न्याय मिला ।
कोर्ट का निर्णय मान्य,दरिंदो अब तो डरो ।।

दरिंदों को दे फाँसी, न्याय की आस जागी ।
तुम्हे है जीना धिक्कार, फंदे पे लटक मरो ।।

सपना डाॅ. बनना था, चंद पलों में टूटा था ।
तुम्हे याद है वो दिन,न अब याचिका भरो ।।

विकास भारद्वाज "सुदीप"
6 मई 2017


शनिवार, 6 मई 2017

10:00 am

गजल

गजल क्र○ 4

तुम्हारे पढे खत जमाना हुआ
मिले बाद वर्षों फसाना हुआ

सताती मुझे याद शामों-सहर
जख़म आज मेरा पुराना हुआ

मुझे देख पलकें झुका के मिली
हमारा सफ़र भी सुहाना हुआ
                  
किये यूँ पराये वफा से मुकर
उसे छोड आँसू बहाना हुआ

कभी इश्क का भी चढा था जुनूं
बिछड के कही ना ठिकाना हुआ

विकास भारद्वाज "सुदीप"
04/05/2017

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