कविता- तुम्हारा क्रंदन, तुम्हारा बलिदान
26/11/2008 के मुंबई हमले की आज 9 वीं बरसी है वीर जवानो की शहादत को मेरा सलाम, भावपूर्ण श्रद्धांजलि इस हमले में कई लोगों की जान गई थी
काले लिवासधारी मौत का सामान लाये हैं ।
हर तरफ धमाके और संगीनों के साये हैं ।।
शहर में अब बढती वारदातो से लगता हैं ।
छुपकर सीमा से कुछ आतंकवादी आये हैं ।।
मजहवी कट्टरपंथी ने फैला दी नफरत की दीवारें ।
इस जंग में लड़ते भारत माँ के जवान शहीद हुये ।। आतंकवाद के खिलाफ शहादत को वीर जवानों ।
तुम्हारा क्रंदन, तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा ।।
मासूम बच्चों के शव, बेबस हाथों में उठाये थे ।
गद्दारों ने इस कदर दुखों के बादल गिराये थे ।।
जालिमो ने बेगुनाहों पर ऐसे चलाई गोलीयाँ ।
खुशहाल परिवारों को खून के आँसू रूलाये थे ।।
हो गये लाचार और अनाथ न जाने कितने ।
जालिमों तुमको जरा भी दया न आयी थी ।।
इन मुश्किल हालात में मुँहतोड़ जवाब देने की ।
जिम्मेदारी एनएसजी कंमाडों ने पायी थी ।।
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
25 नवम्बर 2017