सुप्रीम कोर्ट से शिक्षा मित्रों को एक बार फिर जबर्दस्त धोखा प्राप्त हुआ है । सुप्रीम कोर्ट ने कुछ देर सुनवाई करके दीपक मिश्रा जी ने शिक्षा मित्रों के समस्त मामले को 24 अगस्त के लिए नियत कर दिया है । अब ऐसा लगता है कि वास्तव मे देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था माननीय सुप्रीम कोर्ट भी उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के साथ सौतेला व्यवहार या दुसरे शब्दों मे कोर्ट ने शिक्षामित्रों के साथ भद्दा मजाक किया है ।
शिक्षामित्र बेरोजगार कर दिये गए है स्कूलों में पढाई ठप होने लगी है । शिक्षामित्रों के दिल मे इतनी निराशा है कि अब तक कई शिक्षामित्र आत्महत्या कर चुके है
समायोजन रद्द करने से पहले समायोजित शिक्षामित्रों के परिवार के बारे में सोचना चाहिए था । मानवीय संवेदना होना सुप्रीम कोर्ट का दायित्व है। कुछ ऐसे भी है शिक्षामित्र है जो लगभग 50 वर्ष की उम्र होने को है और बढती उम्र में नये पाठ्यक्रम की परीक्षा कौन पास करेगा । धरना-प्रदर्शन के बाद शाम को घर चले जाते है उन्हें भविष्य, बच्चों की पढाई व आर्थिक संकट की गहरी चिंता सता रही है
सुप्रीम कोर्ट को नियमावली में संशोधन करके शिक्षामित्रों के पक्ष में कोई फैसला लाना चाहिए।
विकास भारद्वाज
बदायूँ (उ○ प्र○)
1 अगस्त 2017
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